पासपोर्ट के लिए एक साल के एड्रेस प्रूफ की न्यूनतम सीमा जल्द ही समाप्त हो सकती है। नई व्यवस्था से उन लोगों को राहत मिलेगी जोकि नौकरी के चक्कर में एक शहर से दूसरे शहर में आशियाना बदलते रहते हैं।
हाल ही में पासपोर्ट सेवा दिवस पर दिल्ली में हुई तीन दिवसीय बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई। देश भर से आए कई पासपोर्ट अधिकारियों ने न्यूनतम सीमा पर विरोध जताया। मंत्रालय अब जल्द ही इस मामले में ठोस कदम उठाने जा रहा है।
रीजनल पासपोर्ट अधिकारी नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि विदेश मंत्रालय पासपोर्ट आवेदन सुधार की दिशा में लगातार काम कर रहा है।
प्रत्येक वर्ष होने वाली बैठक में ऐसे ही मुद्दों पर बात की जाती है कि भारतीय नागरिक को किस प्रकार पासपोर्ट आसानी से उपलब्ध कराया जा सके।
आरपीओ ने बताया कि सबसे ज्यादा परेशानी उन आवेदकों को होती है जोकि प्राइवेट नौकरीपेशा होते हैं और नौकरी के चक्कर में एक शहर से दूसरे शहर में ट्रांसफर होते रहते हैं।
कई बार ऐसे लोग एक ही शहर में दस साल से ज्यादा समय बिताते हैं, मगर अपना कोई एड्रेस प्रूफ नहीं बनवा पाते। कई बार वह एक साल से कम समय ही एक पते पर बिता पाते हैं।
ऐसे ही लोगों की परेशानी को देखते हुए यह मुद्दा उठाया गया और न्यूनतम समय सीमा को घटाने की गुजारिश की गई।
आरपीओ का कहना है कि पासपोर्ट के लिए दो बातें आवश्यक होती हैं। एक तो उसकी पुलिस वेरीफिकेशन रिपोर्ट क्लीयर हो, दूसरा वह भारतीय नागरिक हो।
अधिकारी से मिलें आवेदक
आरपीओ नरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि पासपोर्ट आवेदन के दौरान किसी एक दस्तावेज में अगर कोई मामूली कमी है और अन्य सभी दस्तावेज दुरुस्त हैं तो ऐसे आवेदन को स्वीकार किया जाएगा। इसके बावजूद अगर कहीं किसी आवेदक को कोई परेशानी होती है तो वह सीधे उनसे मिल सकते हैं।
पुलिस के लिए आसान नहीं टेबलेट से वेरिफिकेशन
टेबलेट से पुलिसकर्मियों द्वारा पासपोर्ट वेरीफिकेशन योजना आसान नहीं है। हैदराबाद और यूपी में जमीन आसमान का अंतर है। हैदराबाद में जहां ज्यादातर एरिया शहरी है, वहीं यूपी में ज्यादातर ग्रामीण इलाके हैं।
इनमें से कई ऐसे हैं जहां नेटवर्क ही नहीं पहुंचता। ऐसे हालात में इन गांवों में टेबलेट लेकर जब पुलिसकर्मी पहुंचेंगे तो वहां इंटरनेट काम ही नहीं करेगा। विगत दिनों विदेश मंत्रालय में आयोजित तीन दिवसीय बैठक के दौरान हैदराबाद पुलिस ने अपना प्रजेंटेशन दिया था।
कम से कम समय में न केवल वेरीफिकेशन होता है, बल्कि पुलिसकर्मी किसी को वेरीफिकेशन के लिए आवेदक के घर जाना ही पड़ता है, क्योंकि प्रत्येक टेबलेट में जीपीएस सिस्टम लगा है। पुलिसकर्मी की लोकेशन भी रिपोर्ट में आती है।
हाल ही में पासपोर्ट सेवा दिवस पर दिल्ली में हुई तीन दिवसीय बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई। देश भर से आए कई पासपोर्ट अधिकारियों ने न्यूनतम सीमा पर विरोध जताया। मंत्रालय अब जल्द ही इस मामले में ठोस कदम उठाने जा रहा है।
रीजनल पासपोर्ट अधिकारी नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि विदेश मंत्रालय पासपोर्ट आवेदन सुधार की दिशा में लगातार काम कर रहा है।
प्रत्येक वर्ष होने वाली बैठक में ऐसे ही मुद्दों पर बात की जाती है कि भारतीय नागरिक को किस प्रकार पासपोर्ट आसानी से उपलब्ध कराया जा सके।
आरपीओ ने बताया कि सबसे ज्यादा परेशानी उन आवेदकों को होती है जोकि प्राइवेट नौकरीपेशा होते हैं और नौकरी के चक्कर में एक शहर से दूसरे शहर में ट्रांसफर होते रहते हैं।
कई बार ऐसे लोग एक ही शहर में दस साल से ज्यादा समय बिताते हैं, मगर अपना कोई एड्रेस प्रूफ नहीं बनवा पाते। कई बार वह एक साल से कम समय ही एक पते पर बिता पाते हैं।
ऐसे ही लोगों की परेशानी को देखते हुए यह मुद्दा उठाया गया और न्यूनतम समय सीमा को घटाने की गुजारिश की गई।
आरपीओ का कहना है कि पासपोर्ट के लिए दो बातें आवश्यक होती हैं। एक तो उसकी पुलिस वेरीफिकेशन रिपोर्ट क्लीयर हो, दूसरा वह भारतीय नागरिक हो।
अधिकारी से मिलें आवेदक
आरपीओ नरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि पासपोर्ट आवेदन के दौरान किसी एक दस्तावेज में अगर कोई मामूली कमी है और अन्य सभी दस्तावेज दुरुस्त हैं तो ऐसे आवेदन को स्वीकार किया जाएगा। इसके बावजूद अगर कहीं किसी आवेदक को कोई परेशानी होती है तो वह सीधे उनसे मिल सकते हैं।
पुलिस के लिए आसान नहीं टेबलेट से वेरिफिकेशन
टेबलेट से पुलिसकर्मियों द्वारा पासपोर्ट वेरीफिकेशन योजना आसान नहीं है। हैदराबाद और यूपी में जमीन आसमान का अंतर है। हैदराबाद में जहां ज्यादातर एरिया शहरी है, वहीं यूपी में ज्यादातर ग्रामीण इलाके हैं।
इनमें से कई ऐसे हैं जहां नेटवर्क ही नहीं पहुंचता। ऐसे हालात में इन गांवों में टेबलेट लेकर जब पुलिसकर्मी पहुंचेंगे तो वहां इंटरनेट काम ही नहीं करेगा। विगत दिनों विदेश मंत्रालय में आयोजित तीन दिवसीय बैठक के दौरान हैदराबाद पुलिस ने अपना प्रजेंटेशन दिया था।
कम से कम समय में न केवल वेरीफिकेशन होता है, बल्कि पुलिसकर्मी किसी को वेरीफिकेशन के लिए आवेदक के घर जाना ही पड़ता है, क्योंकि प्रत्येक टेबलेट में जीपीएस सिस्टम लगा है। पुलिसकर्मी की लोकेशन भी रिपोर्ट में आती है।
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