Thursday, 9 July 2015

'महिला प्रेम व मोह के कारण संबंध बना सकती है'

दुष्कर्म संबंधी कानून का इस्तेमाल शादी का वादा पूरा करवाने के औजार के तौर पर नहीं किया जा सकता। यह टिप्पणी विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में आरोपी को बरी करते हुए की है।

मामले में बरी हुए शख्स पर एक विधवा से दुष्कर्म करने का आरोप था। वह महिला आरोपी के साथ लिव इन रिलशेन में रहती थी। 

अदालत ने आरोपी को बरी करते हुए कहा महिला के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि वह बिना शादी किए आरोपी के साथ क्यों रहने लगी जबकि उनकी शादी में कोई रुकावट नहीं थी।

कड़कड़डूमा जिला अदालत की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सरिता बीरबल ने आरोपी को दुष्कर्म व बंधक बनाने, धमकी देने संबंधी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी व पीड़िता करीब एक साल तक साथ में रहे। इतने समय में आरोपी का इरादा बदलने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता।

उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनके बीच ऐसे हालात पैदा हो जाएंगे जिसके कारण उन्हें अलग होना पड़ेगा। अदालत ने कहा कि एक महिला प्रेम व आरोपी से मोह के कारण उससे संबंध बना सकती है।

पीड़िता अपनी मर्जी से आरोपी के साथ रह रही थी और अभियोजन यह साबित करने में नाकाम रहा है कि आरोपी ने पीड़िता को कभी जान से मारने की धमकी दी।

महिला ने कभी भी किसी से नहीं कहा कि उसे जबरन बंधक बनाकर व जान का डर दिखाकर रखा गया है।महिला ने अगस्त 2013 में एफआईआर दर्ज करवाई थी। उसका कहना था कि वह अपने दो बच्चों के साथ नौकरी की तलाश में दिल्ली आई थी और एक फैक्ट्री में काम करने लगी थी। उसी फैक्ट्री में आरोपी भी नौकरी करता था।

वह 2012 में पीड़िता को अपने- किराये के मकान पर ले गया और वहां उससे दुष्कर्म किया। इसका खुलासा करने पर उसने पीड़िता को जान से मारने की धमकी दी।

आरोपी ने उसे एक साल तक किराये के कमरे में बंधक बना कर रखा और लगातार उससे दुष्कर्म करता रहा।

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