हरिद्वार से अब प्लास्टिक की बोतल में गंगाजल लाना संभव नहीं हो सकेगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा है कि लोग प्लास्टिक की बोतलें लेकर आते हैं और इस्तेमाल के बाद घाटों पर ही छोड़ देते हैं। ऐसे में घाटों पर प्लास्टिक बोतलों की दुकानदारी भी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए।
एनजीटी ने एक लोकल कमिश्नर नियुक्त कर 4 अगस्त रिपोर्ट भी मांगी है। स्थानीय पुलिस-प्रशासन को उन्हें सहयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। ट्रिब्यूनल ने कहा कि अब घाट पर गंगाजल लेने या पानी इस्तेमाल के लिए सिर्फ जेरीकेन ही चलेगा। घाटों पर प्लास्टिक का छाता और रेनकोट भी नहीं ले जा सकेंगे। एनजीटी का कहना है कि किसी भी सूरत में प्रदूषण नहीं होना चाहिए।
जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने जो लोकल कमिश्नर नियुक्त किया है वह घाटों पर जाकर चेक करेंगे कि कहीं इन आदेशों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा और स्थानीय निकाय क्या काम कर रहा है।
इससे पहले इंडियन काउंसिल फॉर एनवायरो लीगल एक्शन बनाम नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी व अन्य के मामले की सुनवाई करते हुए ग्रीन ट्रिब्यूनल ने विस्तृत आदेश दिया था।इसमें लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट को ही आधार बनाया गया था। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि प्लास्टिक और पॉलिथिन की वजह से घाटों की दुर्दशा हो रही है। ऐसे में हरिद्वार में खासतौर से घाटों पर प्लास्टिक बोतलों की बिक्री और इस्तेमाल बंद होना चाहिए।
एनजीटी का आदेश ऐसे समय पर आया है, जब कांवडियों का रैला हरिद्वार पहुंचने लगा है। कांवडिये अपनी छोटी बोतल या कैन बांधकर भी गंगाजल लाते हैं। ऐसे में इस आदेश से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
साथ ही लाखों की संख्या में कांवड़ियों के आने से स्थानीय प्रशासन को आदेश लागू करने में भी दिक्कत उठानी पड़ सकती है। बहरहाल, 4 अगस्त की रिपोर्ट से इसको लेकर स्थिति स्पष्ट होगी।
इससे पहले आए थे कूड़े को लेकर निर्देश
इससे पूर्व नगर निगम हरिद्वार और स्थानीय पुलिस को मिलकर घाटों पर प्रदूषण रोकथाम के आदेश एनजीटी की तरफ से दिए गए थे। हाल ही में मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि वे किसी भी तरह की दलील इस मामले पर नहीं सुनेंगे। स्थानीय प्रशासन ज्यादा से ज्यादा प्रचार कर आगंतुकों को घाटों को स्वच्छ रखने के संबंध में जागरूक करें।
एनजीटी ने एक लोकल कमिश्नर नियुक्त कर 4 अगस्त रिपोर्ट भी मांगी है। स्थानीय पुलिस-प्रशासन को उन्हें सहयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। ट्रिब्यूनल ने कहा कि अब घाट पर गंगाजल लेने या पानी इस्तेमाल के लिए सिर्फ जेरीकेन ही चलेगा। घाटों पर प्लास्टिक का छाता और रेनकोट भी नहीं ले जा सकेंगे। एनजीटी का कहना है कि किसी भी सूरत में प्रदूषण नहीं होना चाहिए।
जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने जो लोकल कमिश्नर नियुक्त किया है वह घाटों पर जाकर चेक करेंगे कि कहीं इन आदेशों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा और स्थानीय निकाय क्या काम कर रहा है।
इससे पहले इंडियन काउंसिल फॉर एनवायरो लीगल एक्शन बनाम नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी व अन्य के मामले की सुनवाई करते हुए ग्रीन ट्रिब्यूनल ने विस्तृत आदेश दिया था।इसमें लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट को ही आधार बनाया गया था। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि प्लास्टिक और पॉलिथिन की वजह से घाटों की दुर्दशा हो रही है। ऐसे में हरिद्वार में खासतौर से घाटों पर प्लास्टिक बोतलों की बिक्री और इस्तेमाल बंद होना चाहिए।
एनजीटी का आदेश ऐसे समय पर आया है, जब कांवडियों का रैला हरिद्वार पहुंचने लगा है। कांवडिये अपनी छोटी बोतल या कैन बांधकर भी गंगाजल लाते हैं। ऐसे में इस आदेश से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
साथ ही लाखों की संख्या में कांवड़ियों के आने से स्थानीय प्रशासन को आदेश लागू करने में भी दिक्कत उठानी पड़ सकती है। बहरहाल, 4 अगस्त की रिपोर्ट से इसको लेकर स्थिति स्पष्ट होगी।
इससे पहले आए थे कूड़े को लेकर निर्देश
इससे पूर्व नगर निगम हरिद्वार और स्थानीय पुलिस को मिलकर घाटों पर प्रदूषण रोकथाम के आदेश एनजीटी की तरफ से दिए गए थे। हाल ही में मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि वे किसी भी तरह की दलील इस मामले पर नहीं सुनेंगे। स्थानीय प्रशासन ज्यादा से ज्यादा प्रचार कर आगंतुकों को घाटों को स्वच्छ रखने के संबंध में जागरूक करें।
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