दसवीं की परीक्षा 81 साल के शिवचरण यादव के लिए ज़िंदगी का सबसे कठोर इम्तिहान हो गई है। इस बार राजस्थान शिक्षा बोर्ड के दसवीं के नतीजों में 78 फ़ीसदी परीक्षार्थी पास हो गए, लेकिन क़िस्मत ने यादव को फिर दगा दे दिया, वो 46वीं बार फ़ेल हो गए।
उम्र के इस मुक़ाम पर याददाश्त जवाब देने लगी है, मगर यादव ने हिम्मत नहीं हारी है। अलवर के खोहरी गाँव के शिवचरण यादव इस बार सामाजिक विज्ञान को छोड़कर सभी विषयों में फ़ेल हो गए।अंग्रेज़ी में तो उन्हें शून्य नंबर मिले हैं। खोहरी के डॉ. नरेश यादव कहते हैं, "शिवचरण हर साल खूब मेहनत करते हैं, लेकिन हर बार वो फ़ेल हो जाते हैं।" शिवचरण अविवाहित हैं।
गाँव के लोग बताते हैं कि शुरू में वो ये सोच कर इम्तिहान में बैठते रहे कि दसवीं पास होने के बाद ही शादी करेंगे। मगर वो घड़ी कभी नहीं आई।
खोहरी के एक शिक्षक कंवर सिंह कहते हैं, "वो अपने स्कूली दिनों से शिवचरण को देख रहे हैं। स्कूल के दिनों में वो हम जैसे बच्चों का मार्गदर्शन करते थे, पढ़ाते भी थे। तभी से वो परीक्षा दे रहे हैं।"गाँव वालों के मुताबिक़, "अब उनके परिवार में कोई और नहीं है। वो अब एक मंदिर में रहते हैं और गाँववासी ही उनके लिए फीस का इंतज़ाम करते हैं।
डॉ. नरेश कहते हैं, "जिस विषय में शिवचरण के सबसे कम नंबर आते हैं, वो अगली बार पूरा ध्यान उसी विषय की तैयारी में लगा देते हैं, फिर उसमें पास हो जाते हैं, मगर बाकी विषयों में फ़ेल हो जाते हैं।"
दुनिया में हर कोई किसी एक मंज़िल के लिए क़दम बढ़ाती रहता है। शिवचरण के लिए गोया दसवीं की अंकतालिका ही ज़िंदगी का एक मुक़ाम बन गई है।
उम्र के इस मुक़ाम पर याददाश्त जवाब देने लगी है, मगर यादव ने हिम्मत नहीं हारी है। अलवर के खोहरी गाँव के शिवचरण यादव इस बार सामाजिक विज्ञान को छोड़कर सभी विषयों में फ़ेल हो गए।अंग्रेज़ी में तो उन्हें शून्य नंबर मिले हैं। खोहरी के डॉ. नरेश यादव कहते हैं, "शिवचरण हर साल खूब मेहनत करते हैं, लेकिन हर बार वो फ़ेल हो जाते हैं।" शिवचरण अविवाहित हैं।
गाँव के लोग बताते हैं कि शुरू में वो ये सोच कर इम्तिहान में बैठते रहे कि दसवीं पास होने के बाद ही शादी करेंगे। मगर वो घड़ी कभी नहीं आई।
खोहरी के एक शिक्षक कंवर सिंह कहते हैं, "वो अपने स्कूली दिनों से शिवचरण को देख रहे हैं। स्कूल के दिनों में वो हम जैसे बच्चों का मार्गदर्शन करते थे, पढ़ाते भी थे। तभी से वो परीक्षा दे रहे हैं।"गाँव वालों के मुताबिक़, "अब उनके परिवार में कोई और नहीं है। वो अब एक मंदिर में रहते हैं और गाँववासी ही उनके लिए फीस का इंतज़ाम करते हैं।
डॉ. नरेश कहते हैं, "जिस विषय में शिवचरण के सबसे कम नंबर आते हैं, वो अगली बार पूरा ध्यान उसी विषय की तैयारी में लगा देते हैं, फिर उसमें पास हो जाते हैं, मगर बाकी विषयों में फ़ेल हो जाते हैं।"
दुनिया में हर कोई किसी एक मंज़िल के लिए क़दम बढ़ाती रहता है। शिवचरण के लिए गोया दसवीं की अंकतालिका ही ज़िंदगी का एक मुक़ाम बन गई है।
0 comments:
Post a Comment