Wednesday, 22 July 2015

दिल्ली में फैला डेंगू, गाजियाबाद में दहशत

दिल्ली में डेंगू के मरीजों में इजाफा होने से गाजियाबाद में भी दहशत फैलने लगी है। डेंगू के केस मिलने पर यहां लोगों को परेशानी न हो इसके लिए अस्पतालों में 24 घंटे रक्त और प्लेटलेट्स की सुविधा के बोर्ड लगाए गए हैं।

बारिश से तापमान में आई गिरावट डेंगू और मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के लिए काफी अनुकूल है। दिल्ली में डेंगू के केस बढ़ने से निजी अस्पतालों में डेंगू के खतरों को देखते हुए प्लेटलेट्स और खून की उपलब्धता के बोर्ड लगा दिए गए हैं।

पिछले साल डेंगू के केस बढ़ने पर अधिकतर ब्लड बैंक में खून की कमी हो गई थी। इसकी चपेट में जिलाधिकारी भी आ गए थे। इसके अलावा 2013 में डेंगू के कारण दस से अधिक लोगों की मौत हुई थी।

शहर में करीब नौ ब्लड बैंक हैं जिनमें से एक सरकारी और आठ निजी हैं। डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि सिर्फ डेंगू में ही नही मलेरिया और हाई फीवर में भी शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है।

डेंगू के खतरनाक स्टेज में जब प्लेटलेट्स 30 हजार से नीचे जाने लगती है तब प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है।नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. आरके यादव का कहना है कि मच्छरों की ब्रीडिंग रोकने के लिए मलेरिया विभाग एंटी लार्वा दवा का स्प्रे कराता है।

बारिश का मौसम बीतने के बाद नगर निगम फॉगिंग कराएगा।� लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए बारिश के दिनों में फॉगिंग नहीं कराई जा सकती।

कम होती है प्लेटलेट
एडिज और एनाफिलिज मच्छरों के काटने से ही डेंगू और मलेरिया फैलता है।� मादा एडीज मांसपेशियों में न काटकर नसों को निशाना बनाता है।

इससे रक्त में वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है। आरबीसी और प्लाज्मा की अपेक्षा प्लेटलेट्स का जीवनचक्र केवल 5-6 दिन का होता है। इसलिए वायरस प्लेटलेट्स को सबसे पहले प्रभावित करता है।

प्लेटलेट्स की पूर्ति
प्लेटलेट निकालने के दो तरीके हैं। होल ब्लड में मरीज का ब्लड लिया जाता है, जिसमें से खून से प्लेटलेटस अलग किया जाता है।

इस तरह एक यूनिट से 5000 हजार प्लेटलेट्स निकलते हैं। दूसरा तरीका में जंबो पैक के खून से प्लेटलेट्स निकाली जाती हैं, बाकी खून शरीर में रह जाता है। 

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