Wednesday, 22 July 2015

ऐसे पकड़ा गया था याकूब मेनन

नई दिल्‍ली (21 जुलाई): तारीख 12 मार्च 1993 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक-एक कर 13 धमाके हुए जिससे मायानगरी दहल गयी। 75 मिनट के भीतर हुए तेरह धमाकों में पूरी मुंबई सुलगने लगी, आग और खून में लोग तड़पने लगे। जिस का दर्द आज भी देश भूल नहीं पाया है। आज 22 साल बाद इसके एक गुनहगार याकूब मेमन को सज़ा मिल रही है।

53 साल के याकूब को इस महीने की 30 तारीख को सुबह 7 बजे नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी जा सकती है। जेल सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र गृह विभाग की ओर से फांसी के आदेश वाली चिट्ठी मिल चुकी है। यानि जेल प्रशासन के पास याकूब का डेथ वारंट पहुंच चुका है और पंद्रह दिन के बाद इस पर अमल किया जाएगा। फांसी की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जैसा आदेश करेगा, उसका पालन किया जाएगा। लेकिन याकूब की फांसी पर राजनीतिन भी शुरू हो गई है।

टाडा कोर्ट ने 27 जुलाई 2007 को याकूब को आपराधिक साजिश का दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई थी। इसके बाद याकूब ने बॉम्बे हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति तक के पास अपील की थी लेकिन याकूब को राहत नहीं मिली। याकूब मेनन की फांसी की सजा पर पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था और फांसी की सज़ा को उम्रकैद में तब्दील करने से मना कर दिया था।

कैसे पकड़ा गया था याकूब:
यकाबू मेमन 1994 से जेल में है। उसे नेपाल के काठमांडु से 21 जूलाई 1994 को गिरफ्तार किया गया था। याकूब एक बिज़नेसमैन की तरह पाकिस्तान के कराची से फ्लाइट नंब PIA 250 से काठमांडु एयरपोर्ट पर उतरा था। उसके पास पाकिस्तान का पासपोर्ट था जिसमें उसका नाम था यूसुफ अहमद, पासपोर्ट का नंबर था AA763242। जैसे ही याकूब हवाई अड्डे पर उतरा नेपाल पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंप दिया। एयरपोर्ट पर याकूब को रिसीव करने के लिए उसका भाई भी मौजूद था। बताया जाता है कि याकूब यहां वकील से मिलने आया था और वो खुद को भारत वापस आने के लिए राह हमवार कर रहा था लेकिन इससे पहले की वो अपने वकील से मिलता भारतीय जांच एजेंसी के शिकंजे में आ गया। तब से वो अब तक जेल में है और अब उसके फांसी की तैयारी हो रही है

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