कैलाश अस्पताल में दिल के जटिल ऑपरेशन को अमेरिका के ओरलैंड में आयोजित 3सी सम्मेलन में 2500 हदय रोग विशेषज्ञों ने लाइव देखा।
हृदय रोग विशेषज्ञ के मुताबिक ऑपरेशन इस लिए जटिल था। क्योंकि बुजुर्ग की बाईं मुख्य धमनी में रुकावट वहां थी जहां से धमनियों की शाखाएं निकलती हैं। इनमें भी 80 और 90 फीसदी रुकावट थी।
बिना ओपन हार्ट सर्जरी एंजियोप्लास्टी कर रोगी को स्वस्थ कर दिया गया। अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के समूह निदेशक डॉ.डीएस गंभीर ने बताया कि नोएडा निवासी अमर चंद दमानी (68वर्ष) को जून के अंतिम हफ्ते में हार्ट अटैक के चलते अस्पताल लाया गया था।
एंजियोग्राफी की गई, जिसमें दिल को खून की आपूर्ति करने वाली बाईं मुख्य धमनी में 70 फीसदी रुकावट की पुष्टि हुई। यह रुकावट ऐसी जगह पर थी, जहां से धमनियों की शाखाएं निकलती (बाइफरकेशन थीं।बाई मुख्य धमनी से दिल का दो तिहाई हिस्सा प्रभावित होता है। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों का इलाज ओपन हार्ट सर्जरी (बाई पास सर्जरी) के जरिए ही होता था। लेकिन हार्ट अटैक में आठ से दस दिन पहले बाईपास नहीं की जा सकती है।
इसमें मरीज की जान का जोखिम था। ऐसे में परिजनों की रजामंदी से 29 जून को एंजियोप्लास्टी की गई। आधे घंटे की प्रक्रिया में नई तकनीक के जरिए मेडिकेटेड स्टंट को धमनियों में पूरी सुरक्षा और सटीकता से प्रत्यारोपित किया गया।
इसमें इंट्रा वैस्कुलर अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल भी किया गया। मरीज 72 घंटे के भीतर रोजमर्रा के कार्य करने लगा। डॉ. गंभीर ने बताया कि कोरोनरी आर्टरी रोग से ग्रस्त तीन से पांच फीसदी रोगी ऐसे जटिल दिल की बीमारी से पीड़ित होते हैं।
हृदय रोग विशेषज्ञ के मुताबिक ऑपरेशन इस लिए जटिल था। क्योंकि बुजुर्ग की बाईं मुख्य धमनी में रुकावट वहां थी जहां से धमनियों की शाखाएं निकलती हैं। इनमें भी 80 और 90 फीसदी रुकावट थी।
बिना ओपन हार्ट सर्जरी एंजियोप्लास्टी कर रोगी को स्वस्थ कर दिया गया। अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के समूह निदेशक डॉ.डीएस गंभीर ने बताया कि नोएडा निवासी अमर चंद दमानी (68वर्ष) को जून के अंतिम हफ्ते में हार्ट अटैक के चलते अस्पताल लाया गया था।
एंजियोग्राफी की गई, जिसमें दिल को खून की आपूर्ति करने वाली बाईं मुख्य धमनी में 70 फीसदी रुकावट की पुष्टि हुई। यह रुकावट ऐसी जगह पर थी, जहां से धमनियों की शाखाएं निकलती (बाइफरकेशन थीं।बाई मुख्य धमनी से दिल का दो तिहाई हिस्सा प्रभावित होता है। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों का इलाज ओपन हार्ट सर्जरी (बाई पास सर्जरी) के जरिए ही होता था। लेकिन हार्ट अटैक में आठ से दस दिन पहले बाईपास नहीं की जा सकती है।
इसमें मरीज की जान का जोखिम था। ऐसे में परिजनों की रजामंदी से 29 जून को एंजियोप्लास्टी की गई। आधे घंटे की प्रक्रिया में नई तकनीक के जरिए मेडिकेटेड स्टंट को धमनियों में पूरी सुरक्षा और सटीकता से प्रत्यारोपित किया गया।
इसमें इंट्रा वैस्कुलर अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल भी किया गया। मरीज 72 घंटे के भीतर रोजमर्रा के कार्य करने लगा। डॉ. गंभीर ने बताया कि कोरोनरी आर्टरी रोग से ग्रस्त तीन से पांच फीसदी रोगी ऐसे जटिल दिल की बीमारी से पीड़ित होते हैं।
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