Sunday, 28 June 2015

केंद्र पर आडवाणी का निशाना, 'मैं होता तो इस्तीफा दे देता'

दिल्ली आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी के साथ अपने नेताओं के रिश्तों को लेकर सियासी हमले झेल रही भाजपा और सरकार को पार्टी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कड़वी नसीहत दी है।

विवाद में फंसी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर सीधी टिप्पणी से इनकार करते हुए आडवाणी ने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त जीवन भाजपा की सबसे बड़ी मजबूती है और उन्होंने 1990 के दशक में हवाला कांड में नाम आने पर खुद इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस्तीफे के उनके फैसले पर उन्हें तनिक भी मलाल नहीं है।

एक मीडिया समूह को दिए एक इंटरव्यू में आडवाणी ने सुषमा और वसुंधरा को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है, इसलिए इस बारे में वह नहीं बोलेंगे।

आडवाणी ने कहा कि उन्हें सिर्फ खुद के बारे में पता है, इसलिए अपने बारे में बोल रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह होते को इस्तीफा दे देते। इंटरव्यू में उन्होंने याद दिलाया कि हवाला कांड में नाम आने पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तुरंत इस्तीफे के हक में नहीं थे। उसके बावजूद उन्होंने फैसला किया।आडवाणी ने कहा कि उन्हें इस बात का कोई दुख नहीं है कि वह दो साल तक चुनाव नहीं लड़ सके। सरकार में शामिल नहीं रहे। इस्तीफा देने का फैसला उनका अपना था। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि राजनीतिक विश्वसनीयता जरूरी है। जनता हमें चुनती है और हमें जनता के विश्वास पर खरा उतरना होता है।


आडवाणी ने कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी में हमेशा आत्मा की आवाज सुनी है। इस्तीफा देने के लिए वाजयेपी ने भी मना किया था, लेकिन उन्हें पता था उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है। उन्हें किसी बात का डर नहीं था।

पूर्व उपप्रधानमंत्री ने कहा कि वह अपनी जिंदगी में पूरी तरह संतुष्ट हैं। आरएसएस और जनसंघ के दौर से हमने सीखा है कि भ्रष्टाचार मुक्त जीवन भाजपा की सबसे बड़ी मजबूती है। उन्हें याद है कि पार्टी बढ़ रही थी, उस वक्त गोलवलकर ने कहा था कि अच्छी बात है कि संगठन आगे जा रहा है.. इसका ख्याल रखना चाहिए कि इस काम के लिए पैसा इकट्ठा करने में सावधानी बरतनी चाहिए। आडवाणी के इस बयान से राजनीतिक भूचाल आना तय माना जा रहा है।

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