हरिद्वार मौजूदा दौर में यह सुनना अजीब लगता है कि हरिद्वार जिले में ऐसा गांव भी है जहां से आज तक कोई सरकारी नौकरी में नहीं है।
यद्यपि यहां कई युवक स्नातक और परास्नातक हैं। पहली बार ऐसा हुआ कि हरसीवाला गांव के किसी व्यक्ति को सरकारी नौकरी मिली है। सोमवार को महेश कुमार फौज में ट्रेनिंग के लिए रवाना हुआ तो गांववालों ने ढोल-नगाड़ों के साथ उसे विदा किया।
फौज में सिपाही के पद पर भर्ती हुए बीए पास महेश ट्रेनिंग के लिए गांव से लैंसडाउन के लिए रवाना हुआ। उसने बताया कि वहां से वह ट्रेनिंग के लिए नासिक जाएगा। महेश के पिता कृपाल सिंह चौहान व मां राजवती बेटे की इस सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं।
सोमवार को युवक के ट्रेनिंग के लिए रवाना होने पर परिजनों व ग्रामीणों ने उसका माल्यार्पण कर ढोल-नगाड़ों से विदाई दी। इस दौरान उसे बुजुर्गों ने देश सेवा करने के लिए आशीर्वाद दिया। कलीराम, शेरसिंह, जौहरी, जगदीश, पतराम, चंदर आदि बुजुर्ग ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक उनके गांव से कोई सरकारी नौकरी पर नहीं था।हरसीवाला गांव की आबादी करीब 1600 है। गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है। आगे की शिक्षा के लिए गांव के बच्चे दो किलोमीटर दूर बादशाहपुर स्थित इंटर कॉलेज में पढ़ने जाते हैं।
गांव से सात किलोमीटर दूर फेरूपुर में डिग्री कॉलेज है। पूर्व प्रधान साधुराम चौहान ने बताया कि गांव में वर्ष 1995 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय स्थापित हुआ था। इससे पहले कुछ ही बच्चे दूसरे गांव में पढ़ने जाते थे।
गांव में सरकारी स्कूल खुलने से शिक्षा का स्तर बढ़ा है। गांव के 80 फीसदी बच्चे स्कूल जाते हैं। जबकि गांव में कई युवा स्नातक और परास्नातक हैं।
अब तैयारी के लिए बाहर जाने लगे हैं
ग्राम प्रधान प्रीति देवी का कहना है कि गांव में लोग आजीविका के लिए खेती बाड़ी और मजदूरी पर ज्यादा ध्यान देते हैं। या फिर आसपास की फैक्ट्रियों में नौकरी करने जाते हैं। सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए ग्रामीण अपने बच्चों को बाहर भेजने से कतराते हैं। पहले लोगों में जागरूकता की भी कमी थी। लेकिन अब बच्चे तैयारी के लिए बाहर जाने लगे हैं।
यद्यपि यहां कई युवक स्नातक और परास्नातक हैं। पहली बार ऐसा हुआ कि हरसीवाला गांव के किसी व्यक्ति को सरकारी नौकरी मिली है। सोमवार को महेश कुमार फौज में ट्रेनिंग के लिए रवाना हुआ तो गांववालों ने ढोल-नगाड़ों के साथ उसे विदा किया।
फौज में सिपाही के पद पर भर्ती हुए बीए पास महेश ट्रेनिंग के लिए गांव से लैंसडाउन के लिए रवाना हुआ। उसने बताया कि वहां से वह ट्रेनिंग के लिए नासिक जाएगा। महेश के पिता कृपाल सिंह चौहान व मां राजवती बेटे की इस सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं।
सोमवार को युवक के ट्रेनिंग के लिए रवाना होने पर परिजनों व ग्रामीणों ने उसका माल्यार्पण कर ढोल-नगाड़ों से विदाई दी। इस दौरान उसे बुजुर्गों ने देश सेवा करने के लिए आशीर्वाद दिया। कलीराम, शेरसिंह, जौहरी, जगदीश, पतराम, चंदर आदि बुजुर्ग ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक उनके गांव से कोई सरकारी नौकरी पर नहीं था।हरसीवाला गांव की आबादी करीब 1600 है। गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है। आगे की शिक्षा के लिए गांव के बच्चे दो किलोमीटर दूर बादशाहपुर स्थित इंटर कॉलेज में पढ़ने जाते हैं।
गांव से सात किलोमीटर दूर फेरूपुर में डिग्री कॉलेज है। पूर्व प्रधान साधुराम चौहान ने बताया कि गांव में वर्ष 1995 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय स्थापित हुआ था। इससे पहले कुछ ही बच्चे दूसरे गांव में पढ़ने जाते थे।
गांव में सरकारी स्कूल खुलने से शिक्षा का स्तर बढ़ा है। गांव के 80 फीसदी बच्चे स्कूल जाते हैं। जबकि गांव में कई युवा स्नातक और परास्नातक हैं।
अब तैयारी के लिए बाहर जाने लगे हैं
ग्राम प्रधान प्रीति देवी का कहना है कि गांव में लोग आजीविका के लिए खेती बाड़ी और मजदूरी पर ज्यादा ध्यान देते हैं। या फिर आसपास की फैक्ट्रियों में नौकरी करने जाते हैं। सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए ग्रामीण अपने बच्चों को बाहर भेजने से कतराते हैं। पहले लोगों में जागरूकता की भी कमी थी। लेकिन अब बच्चे तैयारी के लिए बाहर जाने लगे हैं।
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