मुंबई : पिछले दशक में महानगर से हर माह औसतन 884 व्यक्ति लापता हुए हैं जिनमें ज्यादातर अवयस्क लड़कियां हैं। हालांकि इनमें से अधिकतर का पता लगा लिया गया।
मुंबई पुलिस के हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि पिछले करीब साढ़े दस साल में शहर से 1,10,547 व्यक्तियों के लापता होने की खबर रही, जिनमें से 1,00,439 लोगों का पता लगा लिया गया। शेष 10,108 का अब तक पता नहीं चल पाया है। जनवरी 2005 से मई 2015 के ये आंकड़े सीआईडी मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के ‘मिसिंग पर्सन ब्यूरो’ ने जारी किए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि लापता पुरुषों की तुलना में अवयस्क लड़कियों सहित महिलाओं की संख्या अधिक है।
आंकड़ों के मुताबिक पिछले दस साल में मुंबई पुलिस में कुल 18,547 लड़कियों, 37,603 महिलाओं, 17,195 लड़कों और 37,202 पुरुषों के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस का दावा है कि इनमें से 90 फीसदी का पता लगा लिया गया। उसके अनुसार मासिक आधार पर 884 में से 803 का पता लगाया गया। लेकिन 582 अवयस्क लड़कियों और 2,944 महिलाओं का मई 2015 के अंत तक पता नहीं चल पाया था। मुंबई पुलिस के प्रवक्ता धनंजय कुलकर्णी ने बताया कि हमने 90 लोगों का सफलतापूर्वक पता लगा लिया क्योंकि हमने एक समर्पित दस्ता स्थापित किया है जो लापता मामलों पर 24 घंटे काम करता है। दस्ते में एक अधिकारी और दो अधीनस्थ हैं। आंकड़े यह भी बताते हैं कि मुंबई पुलिस ने पिछले सात माह में शहर से लापता हुए बच्चों का पता लगाने में उल्लेखनीय कार्य किया है।
नवंबर 2014 से मई 2015 के आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में 1,033 बच्चे लापता हुए पर ऐसे कुछ पुराने मामलों सहित 1,039 का पता लगा लिया गया। बीते सात महीने में महानगर के पूर्वी हिस्से से 1,717 व्यक्ति लापता हुए वहीं पश्चिमी क्षेत्र से 1,560 व्यक्ति, उत्तरी क्षेत्र से 1,174 व्यक्ति, मध्य क्षेत्र से 1,085 और दक्षिण क्षेत्र से 360 व्यक्ति लापता हुए। उत्तरी क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त फत्तेसिंह पाटिल ने बताया कि शहर के कई हिस्सों में 50 फीसदी से अधिक लोग झुग्गियों में रहते हैं और लापता होने के ज्यादातर मामलों की खबर झुग्गी बस्तियों से ही है। अपने क्षेत्र में लापता लोगों का पता लगाने का रिकॉर्ड 97 फीसदी होने का दावा करते हुए पटिल ने कहा कि प्रौद्योगिकी का समुचित इस्तेमाल और सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों से लापता व्यक्तियों का पता लगाने वाले दस्ते को बहुत मदद मिली है।
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