Friday, 3 July 2015

मोदी का 'चाणक्य' अब नीतीश के साथ बना रहा है चुनावी रणनीति!

नरेंद्र मोदी को गुजरात की गली से दिल्ली के राजपथ पर पहुंचाने वाला चाणक्य अब बिहार चुनाव में भी कूद पड़ा है. लेकिन इस बार मोदी के साथ नहीं बल्कि उनके विरोधी नीतीश कुमार के साथ. फिर एक बार नीतीश सरकार बनवाने के लिए. प्रशांत किशोर ऐसे रणनीतिकार है जो राजनीति में सपनों के सौदागर माना जाता है.बिहार में चुनाव की दस्तक सुनाई दे रही है और बिहार की गलियों में नीतीश की दस्तक. गहमागहमी की तस्वीरे उसी चुनावी जंग की है जिसमें नीतीश कुमार ने अपना पहला तीर चल दिया है.नीतीश ने आज पटना में खुद पार्टी के चुनाव अभियान – घर घर दस्तक की शुरुआत कर दी है. घर घर दस्तक यानी आम लोगों के घरों पर जाना, सरकारी की उपलब्धियां बताना, वोटरों का मन टटोलना और फिर दरवाजे पर चुनाव अभियान के नारे का स्टिकर लगाना.असर भी दिखने लगा है. नीतीश कुमार के इस घर-घर दस्तक कार्यक्रम के दौरान बेशुमार भीड़ नजर आ रही है और बता रही है कि नीतीश की दस्तक बिहार के दिल के दरवाजे खोलने का दम रखती है.अगर ये करिश्मा चल निकला तो एक बार फिर उसी शख्स का नाम लिया जाएगा जो मोदी की जीत की कहानी लिख चुका है यानी प्रशांत किशोर. साल 2013 में नरेंद्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी को लेकर बिहार में बीजेपी से 17 साल पुराना गठबंधन छोड़कर नीतीश ने बड़ा दांव खेला था. अब जब चुनाव सर पर हैं तो नीतीश कुमार ने एक और दांव खेला है.बिहार चुनाव से ऐन पहले वो साल 2014 के लोकसभा मोदी के चुनाव अभियान के चाणक्य को वो अपने पाले में ले आए हैं. नीतीश का घर घर दस्तक कार्यक्रम उन्हीं प्रशांत किशोर की देन है जिन्हें मोदी की ब्रैंडिंग के लिए जाना जाता है.प्रशांत कुमार इन दिनों बिहार में डेरा डाल चुके हैं और नीतीश के चुनाव प्रचार की पूरी कमान उनकी टीम ने संभाल ली है. प्रशांत के अगुवाई में नीतीश के चुनावी अभियान का वॉर रूम तैयार है.प्रशांत किशोर की पोटली में नीतीश के लिए और क्या क्या है ये भी बताएंगे लेकिन पहले आपको उस दौर में ले चलते हैं जहां से प्रशांत ने भारत में पहली बार पोलिटिकल मैनेजमेंट की शुरुआत की थी.साल 2014 का लोकसभा चुनाव मोदी के खेमे ने पूरी तरह हाईटेक बना दिया था. देश पहली बार एक ही शख्स को दर्जनों जगह रैली करता हुआ देख रहा था. और विपक्ष के पास इस 3डी मोदी अभियान को कोई तोड़ नहीं था.3D मोदी कैंपेन की पूरी डिजाइन जिस शख्स ने तैयार की थी उसका नाम था प्रशांत किशोर. वही प्रशांत किशोर बिहार चुनाव में नीतीश के साथ जा पहुंचे हैं. दरअसल ये तकनीक जर्मनी में तैयार की गई थी.इस 3D तकनीक का इस्तेमाल मोदी ने पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए किया और फिर चुनाव प्रचार में. इस अभियान ने नरेंद्र मोदी की छवि बदल दी और इस छवि को गढ़ने का काम प्रशांत लगातार कर रहे थे.इसका बाजार भारत में तलाशा गया तो सोनिया और राहुल गांधी का नाम सामने आया लेकिन उन्होंने इसमें रुचि नहीं दिखाई. प्रशांत ने ये आईडिया नरेंद्र मोदी को दिया और बात बन गई.इस एक अभियान से नीतीश कुमार को 3 से 4 करोड़ मतदाताओं तक पहुंचाने की तैयारी में हैं प्रशांत किशोर की ये टीम. दरअसल प्रशांत किशोर ने जो हिसाब लगाया है उसके मुताबिक बिहार में 7 से 12 फीसदी लोग जाति के आधार पर वोट नहीं करते. ये वो लोग हैं जिनकी उम्र 25 साल के आस पास है और या तो पहली बार वोट देंगे या फिर दूसरी बार.प्रशांत इस युवा वर्ग को नीतीश के करीब लाना चाहते हैं. इसके लिए अब मोदी की तरह ही नीतीश को भी डिजिटल दुनिया का बाशिंदा बनाया जा रहा है. देखना है ये कि सपनों के सौदागर प्रशांत किशोर नीतीश के लिए भी वही करिश्मा कर पाते हैं या नहीं जो उन्होंने मोदी के लिए किया था.

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