भाजपा मोदी सरकार की जिस सबसे बड़ी उपलब्धि को विपक्ष को घेरने लिए सबसे बड़ा हथियार बनाने जा रही थी, अब वही उपलब्धि विपक्ष का सबसे हथियार बन कर भाजपा को डरा रही है।
एक साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का एक भी मामला सामने न आने को सबसे बड़ी उपलब्धि बताने वाली भाजपा को अब भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही रोज सफाई देनी पड़ रही है।
पार्टी की मुश्किल यह है कि मोदी सरकार के एक साल पूरा होने के बाद से तीन राज्यों के मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र सरकार के दो मंत्री और एक केंद्रीय मंत्री भ्रष्टाचार के सवाल पर विपक्ष के निशाने पर हैं।
कांग्रेस भी भ्रष्टाचार से जुड़े मसले जोरशोर से उठा कर मोदी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी सरकार की छवि को ध्वस्त कर देना चाहती है।
यही कारण है कि पार्टी न केवल आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की मदद के सवाल को बड़ा मुद्दा बना रही है, बल्कि भाजपा शासित राज्यों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले को भी केंद्रीय स्तर पर उठाने में पूरी ताकत लगा रही हैकांग्रेस की इस रणनीति को इस दृष्टि से भी समझा जा सकता है कि मध्यप्रदेश का व्यापमं घोटाला और छत्तीसगढ़ का चावल घोटाला संबंधी मामला सालों पुराना है।
मगर पार्टी ने पहली बार इन मामलों को अपने केंद्रीय मंच पर जगह दी है। भाजपा के लिए परेशानी की बात यह है कि भ्रष्टाचार के मामले में केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि पार्टी शासित तीन राज्य विपक्ष के निशाने पर हैं। वह भी ऐसे समय जब पार्टी को सबसे बड़ी सियासी चुनौती बिहार विधानसभा चुनाव और संसद के मानसून सत्र से गुजरना है।
मोदी सरकार ने जब एक साल का कार्यकाल पूरा किया था, तब भाजपा जोश से भरी थी। पार्टी और सरकार के मंत्री सभी मंच पर इस दौरान भ्रष्टाचार की एक भी घटना सामने न आने देने को सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बता रही थी।
मगर एक साल का कार्यकाल पूरा होते ही न केवल मनी लांड्रिंग के आरोपी ललित मोदी की मदद के सवाल पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ-साथ राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आरोपों से घिर गईं, बल्कि व्यापम और चावल घोटाला मामले में विपक्ष दो दो और मुख्यमंत्रियों शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह को घेर लिया। इसी बीच महाराष्ट्र सरकार की मंत्री पंकजा मुंडे और विनोद तावड़े भी बिना टेंडर जारी किए करोड़ों की खरीद के आरोपों में घिर गए।
कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ और न ही पार्टी बैकफुट पर है। लोगाें को पता है कि मुद्दाविहीन कांग्रेस कृत्रिम रूप से भ्रष्टाचार के मामलों को खड़ा करने की कोशिश कर रही है। यह छवि बिगाड़ने का प्रयास है जो कभी पूरा नहीं होगा।
-सांबित पात्रा, प्रवक्ता भाजपा
ये बेशर्म सरकार है। भ्रष्टाचार के मामले में भाजपा और मोदी सरकार की पोलपट्टी खुल गई है। अगर आरोप झूठे हैं तो अपनी बात रखने के लिए कई तरह के मंच का उपयोग करने वाले पीएम मोदी चुप क्यों हैं? क्या यह भी झूठ है कि व्यापमं से जुड़े 56 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई?
एक साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का एक भी मामला सामने न आने को सबसे बड़ी उपलब्धि बताने वाली भाजपा को अब भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही रोज सफाई देनी पड़ रही है।
पार्टी की मुश्किल यह है कि मोदी सरकार के एक साल पूरा होने के बाद से तीन राज्यों के मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र सरकार के दो मंत्री और एक केंद्रीय मंत्री भ्रष्टाचार के सवाल पर विपक्ष के निशाने पर हैं।
कांग्रेस भी भ्रष्टाचार से जुड़े मसले जोरशोर से उठा कर मोदी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी सरकार की छवि को ध्वस्त कर देना चाहती है।
यही कारण है कि पार्टी न केवल आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की मदद के सवाल को बड़ा मुद्दा बना रही है, बल्कि भाजपा शासित राज्यों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले को भी केंद्रीय स्तर पर उठाने में पूरी ताकत लगा रही हैकांग्रेस की इस रणनीति को इस दृष्टि से भी समझा जा सकता है कि मध्यप्रदेश का व्यापमं घोटाला और छत्तीसगढ़ का चावल घोटाला संबंधी मामला सालों पुराना है।
मगर पार्टी ने पहली बार इन मामलों को अपने केंद्रीय मंच पर जगह दी है। भाजपा के लिए परेशानी की बात यह है कि भ्रष्टाचार के मामले में केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि पार्टी शासित तीन राज्य विपक्ष के निशाने पर हैं। वह भी ऐसे समय जब पार्टी को सबसे बड़ी सियासी चुनौती बिहार विधानसभा चुनाव और संसद के मानसून सत्र से गुजरना है।
मोदी सरकार ने जब एक साल का कार्यकाल पूरा किया था, तब भाजपा जोश से भरी थी। पार्टी और सरकार के मंत्री सभी मंच पर इस दौरान भ्रष्टाचार की एक भी घटना सामने न आने देने को सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बता रही थी।
मगर एक साल का कार्यकाल पूरा होते ही न केवल मनी लांड्रिंग के आरोपी ललित मोदी की मदद के सवाल पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ-साथ राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आरोपों से घिर गईं, बल्कि व्यापम और चावल घोटाला मामले में विपक्ष दो दो और मुख्यमंत्रियों शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह को घेर लिया। इसी बीच महाराष्ट्र सरकार की मंत्री पंकजा मुंडे और विनोद तावड़े भी बिना टेंडर जारी किए करोड़ों की खरीद के आरोपों में घिर गए।
कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ और न ही पार्टी बैकफुट पर है। लोगाें को पता है कि मुद्दाविहीन कांग्रेस कृत्रिम रूप से भ्रष्टाचार के मामलों को खड़ा करने की कोशिश कर रही है। यह छवि बिगाड़ने का प्रयास है जो कभी पूरा नहीं होगा।
-सांबित पात्रा, प्रवक्ता भाजपा
ये बेशर्म सरकार है। भ्रष्टाचार के मामले में भाजपा और मोदी सरकार की पोलपट्टी खुल गई है। अगर आरोप झूठे हैं तो अपनी बात रखने के लिए कई तरह के मंच का उपयोग करने वाले पीएम मोदी चुप क्यों हैं? क्या यह भी झूठ है कि व्यापमं से जुड़े 56 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई?
0 comments:
Post a Comment