Saturday, 11 July 2015

एनजीटी ने अक्षरधाम मंदिर प्रबंधन पर लगाया जुर्माना

पर्यावरणीय मंजूरी लिए बिना विस्तार करने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने शुक्रवार को अक्षरधाम मंदिर प्रबंधन पर जुर्माना लगाया है।

साथ ही एनजीटी ने यमुना के पुनरुद्धार पर गठित समिति से यह जांच करने को भी कहा है कि क्या विस्तारित हिस्सा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में पड़ता है या नहीं।

एनजीटी चेयरपर्सन स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हम दो मुद्दों पर गौर कर रहे हैं, पहला क्या मंदिर का विस्तारित हिस्सा यमुना नदी के बाढ़ग्रस्त इलाके में पड़ता है या नहीं और दूसरा, क्या ‘मैली से निर्मल यमुना’ पुनरुद्धार योजना 2017 के लिए गठित मुख्य समिति ट्रिब्यूनल की शर्तों का अनुपालन कर रही या नहीं।एनजीटी ने अक्षरधाम मंदिर प्रबंधन पर नेशनल हाइवे-24 से लगती नदी किनारे स्थित मंदिर परिसर के विस्तार पर आए कुल खर्च का 5 फीसदी जुर्माना लगाया। साथ ही एनजीटी ने मुख्य समिति को तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

पीठ ने कहा कि याचिका में उठाए गए ज्यादातर मुद्दों का 7 जुलाई के फैसले में निपटारा हो चुका है। संबंधित मुद्दों को लेकर पहले ही दो समितियों का गठन किया जा चुका है। ऐसे में तीसरी समिति बनाने का सवाल ही नहीं उठता।

एनजीटी ने 13 जुलाई को यमुना नदी के पुनरुद्धार से संबंधित योजना पर निर्देश के लिए मुख्य समिति का गठन किया था। दूसरी समिति का गठन 7 जुलाई को किया गया था।सामाजिक कार्यकर्ता मनोज मिश्रा की याचिका की एनजीटी सुनवाई कर रही है। मिश्रा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि 2011 में निर्माण कार्य शुरू किए जाने से पहले मंजूरी नहीं मिली थी।

और यह वर्ष 2006 के पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन अधिसूचना का उल्लंघन करते हुए प्रदान किया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया कि बाद में परियोजना को पर्यावरण मंजूरी 30 जुलाई 2013 को प्रदान की गई।

इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि यमुना के जलग्रहण क्षेत्र का अतिक्रमण करते हुए विस्तार किया गया है।

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