GAURAV NEWS
नई दिल्ली (6 जून):आखिरकार चार दशकों का इंतजार खत्म हुआ और भारत-बांग्लादेश की सीमा पर बसे 162 गांव की तकदीर का फैसला हो गया। आज से दशकों पहले भारत की तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने बांग्लादेश की आजादी में अहम भूमिका निभाई और आज भारत की मोदी सरकार ने भारत बांग्लादेश सीमा विवाद सुलझा लिया। बांग्लादेश में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत इतना भव्य हुआ कि खुद वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना प्रोटोकाल तोड़ते हुए हवाईअड्डे पहुंच गईं। ऐसा लग रहा है कि भारत-बांगलादेश की दोस्ती का एक नया युग सामने आ गया है। सुबह 9 बजकर 45 मिनट पर प्रधानमंत्री जब ढाका पहुंचे तो उनका जोरदार स्वागत हुआ। विमान की सीढियों के पास खुद शेख हसीना की मौजूदगी काफी कुछ कह रही थी। मोदी ने भी अपनी भावनाएं जाहिर करने में जरा भी देर नहीं की। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके कहा, ''नमस्कार बांग्लादेश! मैं भारत के लोगों का प्यार और सद्भावना लेकर आया हूं। एक मित्र का स्वागत करने के लिए प्रोटोकॉल तोड़ा गया।'' नेपाल, भूटान, म्यामार और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों की यात्रा करने के बावजूद मोदी अबतक बांग्लादेश नहीं जा पाए थे क्योंकि वे संसद से लैंड बार्डर अग्रीमेंट को पास कराकर इसे सौगात के तौर पर ढ़ाका ले जाना चाहते थे। आज ढाका में इसपर लगी मुहर ने भारत और बांग्लादेश के बीच 4 दशकों पुराना विवाद खत्म कर दिया। मोदी का स्वागत करने के लिए वे भी आगे हैं जिन्हें ढाका में अमूमन भारत का दोस्त नहीं कहा जाता। इस तरह की भावनाएं दशकों पहले बांग्लादेश में इंदिरा गांधी के लिए 1971 के युद्ध के बाद दिखी थीं, जब उन्होंने बांग्लादेश की आजादी में निर्णायक भूमिका निभाई थी।
नई दिल्ली (6 जून):आखिरकार चार दशकों का इंतजार खत्म हुआ और भारत-बांग्लादेश की सीमा पर बसे 162 गांव की तकदीर का फैसला हो गया। आज से दशकों पहले भारत की तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने बांग्लादेश की आजादी में अहम भूमिका निभाई और आज भारत की मोदी सरकार ने भारत बांग्लादेश सीमा विवाद सुलझा लिया। बांग्लादेश में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत इतना भव्य हुआ कि खुद वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना प्रोटोकाल तोड़ते हुए हवाईअड्डे पहुंच गईं। ऐसा लग रहा है कि भारत-बांगलादेश की दोस्ती का एक नया युग सामने आ गया है। सुबह 9 बजकर 45 मिनट पर प्रधानमंत्री जब ढाका पहुंचे तो उनका जोरदार स्वागत हुआ। विमान की सीढियों के पास खुद शेख हसीना की मौजूदगी काफी कुछ कह रही थी। मोदी ने भी अपनी भावनाएं जाहिर करने में जरा भी देर नहीं की। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके कहा, ''नमस्कार बांग्लादेश! मैं भारत के लोगों का प्यार और सद्भावना लेकर आया हूं। एक मित्र का स्वागत करने के लिए प्रोटोकॉल तोड़ा गया।'' नेपाल, भूटान, म्यामार और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों की यात्रा करने के बावजूद मोदी अबतक बांग्लादेश नहीं जा पाए थे क्योंकि वे संसद से लैंड बार्डर अग्रीमेंट को पास कराकर इसे सौगात के तौर पर ढ़ाका ले जाना चाहते थे। आज ढाका में इसपर लगी मुहर ने भारत और बांग्लादेश के बीच 4 दशकों पुराना विवाद खत्म कर दिया। मोदी का स्वागत करने के लिए वे भी आगे हैं जिन्हें ढाका में अमूमन भारत का दोस्त नहीं कहा जाता। इस तरह की भावनाएं दशकों पहले बांग्लादेश में इंदिरा गांधी के लिए 1971 के युद्ध के बाद दिखी थीं, जब उन्होंने बांग्लादेश की आजादी में निर्णायक भूमिका निभाई थी।
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