Sunday, 21 June 2015
चीनः नाली में फंसा मैसेज भेजने में बिजी लड़की का पैर
मिंगयांग। किशोरों व युवतियों में मोबाइल को लेकर जबर्दस्त दीवानगी देखी जाती है, लेकिन कभी-कभी ये दीवानगी उनके जान पर भारी भी पड़ जाती है। बीते दिनों चीन के मिंगयांग में हुई एक घटना मोबाइल यूजर्स के लिए चेतावनी ही है। यहां के एक बाजार से गुजर रही एक लड़की मैसेज लिखने-पढ़ने में इस कदर मशगूल थी कि उसे पता ही नहीं चला कि उसका पैर कब नाली के ऊपर लगी जाली में चला गया।
इस जाली में उसका पैर बुरी तरह फंस गया था, जिसे आस-पास से गुजर रहे लोगों ने निकालने की काफी कोशिश की, लेकिन अंततः उन्हें फायर फाइटर्स को बुलाना पड़ा, जिन्होंने उस लड़की को जाली तोड़कर मुक्ति दिलाई।
स्थानीय अखबारों में छपी रिपोर्ट्स के अनुसार, उस लड़की को इस स्थिति में तकरीबन 45 मिनट तक रहना पड़ा और इस दौरान उसे काफी शर्मिंदगी भी महसूस हुई। उसने शर्मिंदगी के कारण अपना चेहरा हाथों से ढंक लिया था।
यह तो गनीमत रही कि इस हादसे में उसे ज्यादा चोट नहीं पहुंची। दमकलकर्मियों के अनुसार, लड़की के पैरों में मामूली खरोंच आई और प्राथमिक उपचार के बाद ही वह अपने गंतव्य पर निकल गई।
कपिल शर्मा की एली अवराम के साथ पहली फिल्म इस डेट को होगी रिलीज
मुंबई। अपनी जबरदस्त कॉमेडी से हंसा-हंसा कर लोट पोट करने वालें कपिल शर्मा बॉलीवुड में भी एंट्री मारने को तैयार हैं। उनकी पहली फिल्म 'किस किसको प्यार करूं' की रिलीज डेट भी सामने आ गई है। इसमें उनके साथ रियलिटी शो 'बिग बॉस' से चर्चा में आईं एली अवराम नजर आएंगी।
इससे पहले वह फिल्म 'मिक्की वायरस' में भी नजर आ चुकी हैं और उन्हें सलमान खान का बेहद करीबी माना जाता है। खैर, आपको बताते हैं कि उनकी और कपिल शर्मा की फिल्म 'किस किसको प्यार करूं' कब रिलीज होने वाली है। यह 25 सितंबर को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है।
इस फिल्म को अब्बास-मस्तान ने निर्देशित किया है। लंबे समय बाद उन्होंने कोई कॉमेडी फिल्म बनाई है। खैर, कपिल शर्मा तो कॉमेडी करने में माहिर हैं और ऐसे में उनसे और उनकी इस फिल्म से दर्शकों को काफी उम्मीदें हैं। देखते हैं वो उनकी उम्मीदों पर खरे उतरते हैं या नहीं।
रामदेव का 'उत्थान' न होता तो योग का इतना नाम न होता
पिछले 20 वर्षों में सचमुच योग क्रांति हो गई। हरिद्वार से शुरू हुई
नव चेतना पूरे संसार तक पहुंची।
यह बात तय है कि यदि योगगुरु के रूप में रामदेव का उत्थान न होता तो योग का इतना नाम न होता। विश्व को पतंजलि के वे दुर्लभ और गूढ़ सूत्र रामदेव के जरिए सहज रूप से प्राप्त हो गए, जो अब तक किताबों में छिपे हुए थे।
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र संघ में योग दिवस की चर्चा पर भारतीय योग को उच्चतम सोपान पर पहुंचा दिया। इससे पहले ऐसा न हो पाया था। रामदेव से पूर्व धीरेंद्र ब्रह्मचारी, प्रोफेसर एम लाल, स्वामी शिवानंद, स्वामी गणेशानंद, ओमकारानंद, स्वामी विद्यानंद सरस्वती, आयंगर जैसे अनेक योग मनीषियों ने विश्व का परिचय योग से कराया। भारत से गया योग पश्चिम में जाकर योगा तो बन गया, किंतु उसे अंतरराष्ट्रीय दिवस का दर्जा दिलाने की सोच रामदेव ने ही पैदा की।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जब पूछा गया कि वर्ष का कौन सा दिन योग के नाम से अंतरराष्ट्रीय दिवस बन सकता है, तब प्रधानमंत्री ने बाबा रामदेव से जानकारी ली। रामदेव, आचार्य बालकृष्ण तथा पतंजलि योगपीठ के करीब 100 विद्वानों की टीम ने पूरे एक महीने तक खोजबीन कर 21 जून का दिन तय किया।
क्योंकि यह दिन सबसे लंबा होता है। 25 दिसंबर को भी पूरी दुनिया बड़ा दिन मानती है। वह दिन क्रिसमस के रूप में पहले ही विख्यात है। अत: बाबा द्वारा सुझाई गई 21 जून की तारीख ही अंतरराष्ट्रीय दिवस बन गई।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से विश्व रोग मुक्ति का सूत्रपात हो रहा है। योग और प्राणायाम के साथ-साथ धीरे-धीरे ध्यान और अष्टांग योग को बढ़ावा दिया जाएगा। वह दिन दूर नहीं जब न केवल भारत अपितु पूरी दुनिया से रोग दूर भाग जाएंगे। योग को आयुर्वेद का साथ देकर दुनिया को महंगी दवाओं से मुक्ति दिलाई जाएगी। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विश्व स्वास्थ्य की दिशा में मील का पत्थर बनेगा।
यह बात तय है कि यदि योगगुरु के रूप में रामदेव का उत्थान न होता तो योग का इतना नाम न होता। विश्व को पतंजलि के वे दुर्लभ और गूढ़ सूत्र रामदेव के जरिए सहज रूप से प्राप्त हो गए, जो अब तक किताबों में छिपे हुए थे।
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र संघ में योग दिवस की चर्चा पर भारतीय योग को उच्चतम सोपान पर पहुंचा दिया। इससे पहले ऐसा न हो पाया था। रामदेव से पूर्व धीरेंद्र ब्रह्मचारी, प्रोफेसर एम लाल, स्वामी शिवानंद, स्वामी गणेशानंद, ओमकारानंद, स्वामी विद्यानंद सरस्वती, आयंगर जैसे अनेक योग मनीषियों ने विश्व का परिचय योग से कराया। भारत से गया योग पश्चिम में जाकर योगा तो बन गया, किंतु उसे अंतरराष्ट्रीय दिवस का दर्जा दिलाने की सोच रामदेव ने ही पैदा की।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जब पूछा गया कि वर्ष का कौन सा दिन योग के नाम से अंतरराष्ट्रीय दिवस बन सकता है, तब प्रधानमंत्री ने बाबा रामदेव से जानकारी ली। रामदेव, आचार्य बालकृष्ण तथा पतंजलि योगपीठ के करीब 100 विद्वानों की टीम ने पूरे एक महीने तक खोजबीन कर 21 जून का दिन तय किया।
क्योंकि यह दिन सबसे लंबा होता है। 25 दिसंबर को भी पूरी दुनिया बड़ा दिन मानती है। वह दिन क्रिसमस के रूप में पहले ही विख्यात है। अत: बाबा द्वारा सुझाई गई 21 जून की तारीख ही अंतरराष्ट्रीय दिवस बन गई।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से विश्व रोग मुक्ति का सूत्रपात हो रहा है। योग और प्राणायाम के साथ-साथ धीरे-धीरे ध्यान और अष्टांग योग को बढ़ावा दिया जाएगा। वह दिन दूर नहीं जब न केवल भारत अपितु पूरी दुनिया से रोग दूर भाग जाएंगे। योग को आयुर्वेद का साथ देकर दुनिया को महंगी दवाओं से मुक्ति दिलाई जाएगी। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विश्व स्वास्थ्य की दिशा में मील का पत्थर बनेगा।
इस हाइवे पर हत्या के बाद फेंकी जाती हैं लाशें, आखिर क्यों?
पिछले दो महीनों में, एनएच-1 हाइवे से सटे और दिल्ली से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित इस जिले में हरियाणा पुलिस को 7 लाशें मिली।
इनमें से एक पर जलने के निशान थे, दूसरे शव के सर पर चोट के निशान मिले, कोई बुरी तरह क्षत-विक्षत थी तो किसी को टूकड़ों-टूकड़ों में काटा गया था।
इनमें से अबतक एक शव की भी पहचान नहीं हो सकी है। इन लाशों की ये कहानी घटना का मोटा अंदाजा या सूक्ष्म परिणाम है। राज्य के बाहर सोनीपत लाशों की कब्रगाह के तौर पर उबर रहा है।
मामले में सनसनीखेज खुलासा उस घटना के बाद हुआ जब 6 अप्रैल को एक व्यक्ति और महिला का शव नग्न अवस्था में ताउ देवी लाल स्टेडियम की पार्किंग में मिला। घटना का मंजर खौफनाक और रोंगटे खड़े कर देने वाला था।महिला के हाथ में शादी की चूड़ियां थी और व्यक्ति के शरीर को काटकर इनके बीच फंसा दिया गया था। इस घटना के बाद पुलिस के अपराधिक रिकॉर्ड ये सिलसिला जुड़ता चला गया।
8 अप्रैल- एक युवक की लाश दिल्ली-पानीपत हाइवे पर मिली। लाश के सर पर चोट के स्पष्ट निशान थे
18 अप्रैल- पुलिस को हरियाणा राज्य बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास कॉर्पोरेशन के औद्योगिक यूनिट कुंडली से एक महिला का शव बरामद किया।
25 अप्रैल- एक व्यक्ति की लाश चिनौली गांव से मिली।
15 जून- दो महिलाओं के जले हुए शव पुलिस ने देहिसारा गांव से जले हुए सूखे गोबर के ढ़ेर से बरामद किए।इनकी पहचान का कोई भी सुराग ने मिलने के चलते पुलिस ने डीएनए सैंपल लेकर इनका अंतिम संस्कार किया। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सोनीपत की उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी से नजदीकी लाशों के इस तांड़व को संदिग्ध बनाती है।
पानीपत, सोनीपत, रोहतक और झज्जर की पुलिस व्यस्था पर नजर रखने वाले रोहतक रेंज के आईजीपी श्रीकांत जाधव कहते हैं कि गुड़गांव और फरीदाबाद की सीमा भी दिल्ली बॉर्डर से लगी है, लेकिन ये शहरी क्षेत्र हैं।
जबकि सोनीपत में परिस्थितियां ऐसी नहीं है। उन्हें लगता है कि लोगों की हत्याएं दिल्ली और उत्तर प्रदेश में हो रही हैं और शव यहां ठिकाने लगाए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि केवल सोनीपत में ही नहीं बल्कि पूरे एनएच-1 मार्ग पर ही यही हालात हैं। वास्तव में पिछले दो महिनों में दो लाशें पानीपत और दो रोहतक से भी बरामद हुई। ये दोनों जिले सोनीपत से सटे हुए हैं।
हालांकि इनमें से दो मामलों के आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं।जाधव के मुताबिक पुलिस ने पानीपत और सोनीपत को 6 हिस्सों में बांटकर अब एनएच-1 पर रात में पेट्रोलिंग तेज कर दी है।�
पुलिस रिकॉर्ड की मानें तो इस साल हरियाणा के सभी जिलों से संदिग्ध हत्याओं के 155 शव बरामद हुए हैं। जबकि साल 2014 में 16 फीसदी मर्डर केस ऐसे थे, जो सुलझ नहीं सके थे।
हरियाणा पुलिस के मुताबिक उन्होंने पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, राज्स्थान और दिल्ली से भी इस संबंध में मदद मांगी है, लेकिन उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया है।
इनमें से एक पर जलने के निशान थे, दूसरे शव के सर पर चोट के निशान मिले, कोई बुरी तरह क्षत-विक्षत थी तो किसी को टूकड़ों-टूकड़ों में काटा गया था।
इनमें से अबतक एक शव की भी पहचान नहीं हो सकी है। इन लाशों की ये कहानी घटना का मोटा अंदाजा या सूक्ष्म परिणाम है। राज्य के बाहर सोनीपत लाशों की कब्रगाह के तौर पर उबर रहा है।
मामले में सनसनीखेज खुलासा उस घटना के बाद हुआ जब 6 अप्रैल को एक व्यक्ति और महिला का शव नग्न अवस्था में ताउ देवी लाल स्टेडियम की पार्किंग में मिला। घटना का मंजर खौफनाक और रोंगटे खड़े कर देने वाला था।महिला के हाथ में शादी की चूड़ियां थी और व्यक्ति के शरीर को काटकर इनके बीच फंसा दिया गया था। इस घटना के बाद पुलिस के अपराधिक रिकॉर्ड ये सिलसिला जुड़ता चला गया।
8 अप्रैल- एक युवक की लाश दिल्ली-पानीपत हाइवे पर मिली। लाश के सर पर चोट के स्पष्ट निशान थे
18 अप्रैल- पुलिस को हरियाणा राज्य बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास कॉर्पोरेशन के औद्योगिक यूनिट कुंडली से एक महिला का शव बरामद किया।
25 अप्रैल- एक व्यक्ति की लाश चिनौली गांव से मिली।
15 जून- दो महिलाओं के जले हुए शव पुलिस ने देहिसारा गांव से जले हुए सूखे गोबर के ढ़ेर से बरामद किए।इनकी पहचान का कोई भी सुराग ने मिलने के चलते पुलिस ने डीएनए सैंपल लेकर इनका अंतिम संस्कार किया। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सोनीपत की उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी से नजदीकी लाशों के इस तांड़व को संदिग्ध बनाती है।
पानीपत, सोनीपत, रोहतक और झज्जर की पुलिस व्यस्था पर नजर रखने वाले रोहतक रेंज के आईजीपी श्रीकांत जाधव कहते हैं कि गुड़गांव और फरीदाबाद की सीमा भी दिल्ली बॉर्डर से लगी है, लेकिन ये शहरी क्षेत्र हैं।
जबकि सोनीपत में परिस्थितियां ऐसी नहीं है। उन्हें लगता है कि लोगों की हत्याएं दिल्ली और उत्तर प्रदेश में हो रही हैं और शव यहां ठिकाने लगाए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि केवल सोनीपत में ही नहीं बल्कि पूरे एनएच-1 मार्ग पर ही यही हालात हैं। वास्तव में पिछले दो महिनों में दो लाशें पानीपत और दो रोहतक से भी बरामद हुई। ये दोनों जिले सोनीपत से सटे हुए हैं।
हालांकि इनमें से दो मामलों के आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं।जाधव के मुताबिक पुलिस ने पानीपत और सोनीपत को 6 हिस्सों में बांटकर अब एनएच-1 पर रात में पेट्रोलिंग तेज कर दी है।�
पुलिस रिकॉर्ड की मानें तो इस साल हरियाणा के सभी जिलों से संदिग्ध हत्याओं के 155 शव बरामद हुए हैं। जबकि साल 2014 में 16 फीसदी मर्डर केस ऐसे थे, जो सुलझ नहीं सके थे।
हरियाणा पुलिस के मुताबिक उन्होंने पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, राज्स्थान और दिल्ली से भी इस संबंध में मदद मांगी है, लेकिन उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया है।
जुनपत हत्याकांड में हुआ एक और अजीब खुलासा
नोएडा जुनपत में नरेंद्र शर्मा की हत्या में पैरोकार पिता राजकुमार शर्मा और सुरक्षाकर्मी नितिन वर्मा पर मंगलवार शाम हुए हमले के दौरान एक सिपाही घर के अंदर मौजूद था।
पीड़ित परिवार का आरोप है कि हमले के दौरान गोलियों की आवाज सुनकर सिपाही अपनी थ्री नॉट थ्री रॉयफल लेकर घर के बरामदे से वापस घर के अंदर घुस गयाघर में महिलाओं और बच्चों ने मिन्नतें कर बाहर जाकर दोनों को बचाने की बात कही लेकिन सिपाही बाहर नहीं निकला।
जुनपत में डबल मर्डर मामले में दो सुरक्षाकर्मी उमेश कुमार और विजय गौतम को बिना बताए चले जाने पर एसएसपी ने निलंबित कर जांच के आदेश दिए थे।
वहीं, एक अन्य कांस्टेबल प्रेमपाल ने उस दौरान नहाने जाने की बात बताई थी। शनिवार को अमर उजाला टीम से परिजन कुलदीप शर्मा और अरुण शर्मा ने आरोप लगाया कि अभी तक उनकी सुरक्षा में वही कांस्टेबल लगा हुआ है जो वारदात के दौरान घर में छिप गया था।परिजनों का कहना है कि उन्हें उस कांस्टेबल को प्रतिदिन देखना पड़ रहा है जो वारदात के समय अपनी जानबचाकर छुप गया था। पीड़ित परिजनों ने बताया कि वारदात वाले दिन उन्होंने एसएसपी से इस बारे में शिकायत भी की थी।
वह जल्द ही इस मामले में एसएसपी से मुलाकात करेंगे। वहीं पुलिस यह तलाशने की कोशिश कर रही है कि जुनपत में दोहरे हत्याकांड में कहीं सुंदर भाटी गैंग का हाथ तो नहीं है। सूत्रों के अनुसार गौतमबुद्ध नगर पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स इस एंगल से भी जांच कर रही है।
पूर्व में भी दोनों गैंग पर एक दूसरे को अन्य मामलों में फंसाने के आरोप लगे हैं। शुक्रवार को पेशी पर ग्रेटर नोएडा आए दुजाना ने भी सुंदर भाटी पर फंसाने का आरोप लगाया था। हालांकि, एसटीएफ को अभी तक इस मामले की लिखित में जांच नहीं सौंपी गई है।
लेकिन संगठित अपराधियों द्वारा की गई इस वारदात के बारे में स्वयं एसटीएफ अपनी ओर से छानबीन करने में जुटी है। बेटे की हत्या के मामले में पैरोकारी करने वाले राजकुमार शर्मा और सुरक्षाकर्मी नितिन की हत्या के दौरान गैंग के हमले का तरीका क्या था और किन हथियारों का उपयोग किया गया।यह तरीका किस गैंग द्वारा की जाने वाली वारदात से मेल खाता है इसका पता लगाने में एसटीएफ लगी हुई है। नरेंद्र शर्मा हत्याकांड में अनिल दुजाना और सुंदर भाटी गैंग के गुर्गों पर एसटीएफ और पुलिस की नजर है।
कुछ दिन पहले हरेंद्र दुजाना की हत्या में सामने आने वाले नाम अनिल तोता का भी इस हत्या में शामिल होने का संदेह है। इसके अलावा अनिल दुजाना गैंग से हाल में अलग हुए एक गैंग पर भी इस दोहरे हत्याकांड के शक की सुई जा रही है।
हालांकि, एसटीएफ मुख्य रूप से दुजाना गैंग पर ही अपना ध्यान केंद्रित कर रही है साथ ही एसटीएफ इस बात का पता लगाने की कोशिश में लगी है कि कहीं किसी दूसरे गैंग ने अपने विरोधियों को फंसाने के लिए तो वारदात को अंजाम नहीं दिया है।
बताया जा रहा है कि पहले भी दोनों गैंग एक-दूसरे को फंसाने के लिए वारदात करते रहे हैं।
पीड़ित परिवार का आरोप है कि हमले के दौरान गोलियों की आवाज सुनकर सिपाही अपनी थ्री नॉट थ्री रॉयफल लेकर घर के बरामदे से वापस घर के अंदर घुस गयाघर में महिलाओं और बच्चों ने मिन्नतें कर बाहर जाकर दोनों को बचाने की बात कही लेकिन सिपाही बाहर नहीं निकला।
जुनपत में डबल मर्डर मामले में दो सुरक्षाकर्मी उमेश कुमार और विजय गौतम को बिना बताए चले जाने पर एसएसपी ने निलंबित कर जांच के आदेश दिए थे।
वहीं, एक अन्य कांस्टेबल प्रेमपाल ने उस दौरान नहाने जाने की बात बताई थी। शनिवार को अमर उजाला टीम से परिजन कुलदीप शर्मा और अरुण शर्मा ने आरोप लगाया कि अभी तक उनकी सुरक्षा में वही कांस्टेबल लगा हुआ है जो वारदात के दौरान घर में छिप गया था।परिजनों का कहना है कि उन्हें उस कांस्टेबल को प्रतिदिन देखना पड़ रहा है जो वारदात के समय अपनी जानबचाकर छुप गया था। पीड़ित परिजनों ने बताया कि वारदात वाले दिन उन्होंने एसएसपी से इस बारे में शिकायत भी की थी।
वह जल्द ही इस मामले में एसएसपी से मुलाकात करेंगे। वहीं पुलिस यह तलाशने की कोशिश कर रही है कि जुनपत में दोहरे हत्याकांड में कहीं सुंदर भाटी गैंग का हाथ तो नहीं है। सूत्रों के अनुसार गौतमबुद्ध नगर पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स इस एंगल से भी जांच कर रही है।
पूर्व में भी दोनों गैंग पर एक दूसरे को अन्य मामलों में फंसाने के आरोप लगे हैं। शुक्रवार को पेशी पर ग्रेटर नोएडा आए दुजाना ने भी सुंदर भाटी पर फंसाने का आरोप लगाया था। हालांकि, एसटीएफ को अभी तक इस मामले की लिखित में जांच नहीं सौंपी गई है।
लेकिन संगठित अपराधियों द्वारा की गई इस वारदात के बारे में स्वयं एसटीएफ अपनी ओर से छानबीन करने में जुटी है। बेटे की हत्या के मामले में पैरोकारी करने वाले राजकुमार शर्मा और सुरक्षाकर्मी नितिन की हत्या के दौरान गैंग के हमले का तरीका क्या था और किन हथियारों का उपयोग किया गया।यह तरीका किस गैंग द्वारा की जाने वाली वारदात से मेल खाता है इसका पता लगाने में एसटीएफ लगी हुई है। नरेंद्र शर्मा हत्याकांड में अनिल दुजाना और सुंदर भाटी गैंग के गुर्गों पर एसटीएफ और पुलिस की नजर है।
कुछ दिन पहले हरेंद्र दुजाना की हत्या में सामने आने वाले नाम अनिल तोता का भी इस हत्या में शामिल होने का संदेह है। इसके अलावा अनिल दुजाना गैंग से हाल में अलग हुए एक गैंग पर भी इस दोहरे हत्याकांड के शक की सुई जा रही है।
हालांकि, एसटीएफ मुख्य रूप से दुजाना गैंग पर ही अपना ध्यान केंद्रित कर रही है साथ ही एसटीएफ इस बात का पता लगाने की कोशिश में लगी है कि कहीं किसी दूसरे गैंग ने अपने विरोधियों को फंसाने के लिए तो वारदात को अंजाम नहीं दिया है।
बताया जा रहा है कि पहले भी दोनों गैंग एक-दूसरे को फंसाने के लिए वारदात करते रहे हैं।
भीड़ से अलग चलेंगे पिंक ऑटो
गाजियाबाद सूबे में पिंक ऑटो को भीड़भाड़ का सामना करना नहीं होगा। महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को समर्पित इस सर्विस की गाइडलाइन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने जारी कर दी हैं।
पिंक ऑटो को पार्किंग के लिए प्राथमिकता के आधार पर अलग से स्थान उपलब्ध कराया जाएगा। सीएनजी पंपों पर भी पिंक ऑटो को बिना लाइन में लगे ही गैस फिलिंग कराने की सुविधा मिलेगी।
महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए प्रदेश में पिंक ऑटो सेवा शुरू की जा रही है। 25 जून से इसकी शुरूआत गाजियाबाद से की जाएगी। इसके बाद प्रदेश के सभी बड़े शहरों में पिंक ऑटो केपरमिट देने का काम शुरू हो जाएगा।
ट्रैफिक कमिश्नर के. रविंद्र (टीसी) नायक ने पिंक ऑटो संचालन केलिए गाइडलाइन जारी कर दी हैं। इन्हें रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर इनको पार्किंग की सुविधा प्राथमिकता के आधार पर मिलेगी।
शहरों में जगह-जगह पिंक ऑटो के संचालन केंद्र बनाए जाएंगे। इन केंद्रों पर महिलाओं केबैठने, पेयजल-शौचालय की व्यवस्था भी रहेगी।
ऐसे ऑटो को बढ़ावा देने के लिए अब पुराने वाहन को भी परमिट जारी किए जाएंगे, हालांकि उन पर पिंक कलर कराना होगा।
आरटीओ मयंक ज्योति ने बताया कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के आदेशों के अनुसार गाइडलाइन तैयार कर ली गई हैं। इन पर 25 जून को आरटीए की बैठक में स्वीकृत कराया जाएगा
पिंक ऑटो को पार्किंग के लिए प्राथमिकता के आधार पर अलग से स्थान उपलब्ध कराया जाएगा। सीएनजी पंपों पर भी पिंक ऑटो को बिना लाइन में लगे ही गैस फिलिंग कराने की सुविधा मिलेगी।
महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए प्रदेश में पिंक ऑटो सेवा शुरू की जा रही है। 25 जून से इसकी शुरूआत गाजियाबाद से की जाएगी। इसके बाद प्रदेश के सभी बड़े शहरों में पिंक ऑटो केपरमिट देने का काम शुरू हो जाएगा।
ट्रैफिक कमिश्नर के. रविंद्र (टीसी) नायक ने पिंक ऑटो संचालन केलिए गाइडलाइन जारी कर दी हैं। इन्हें रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर इनको पार्किंग की सुविधा प्राथमिकता के आधार पर मिलेगी।
शहरों में जगह-जगह पिंक ऑटो के संचालन केंद्र बनाए जाएंगे। इन केंद्रों पर महिलाओं केबैठने, पेयजल-शौचालय की व्यवस्था भी रहेगी।
ऐसे ऑटो को बढ़ावा देने के लिए अब पुराने वाहन को भी परमिट जारी किए जाएंगे, हालांकि उन पर पिंक कलर कराना होगा।
आरटीओ मयंक ज्योति ने बताया कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के आदेशों के अनुसार गाइडलाइन तैयार कर ली गई हैं। इन पर 25 जून को आरटीए की बैठक में स्वीकृत कराया जाएगा