Monday, 22 June 2015
महाभारत की 11 ऐसी कहानियां जिनके बारे में आपने शायद ही सुना होगा
आपको धार्मिक ग्रंथ महाभारत से जुड़ी अलग-अलग कई कहानियों के बारे में मालूम होगा, लेकिन इनमें कई ऐसी भी कहानियां हैं जिनके बारे में अाप शायद ही जानते हों. जानिए धार्मिक ग्रंथ महाभारत से संबंधित ऐसी ही 11 कहानियों के बारे में:
1. जब कौरवों की सेना पांडवों से युद्ध हार रही थी तब दुर्योधन भीष्म पितामह के पास गया और उन्हें कहने लगा कि आप अपनी पूरी शक्ति से यह युद्ध नहीं लड़ रहे हैं. भीष्म पितामह को काफी गुस्सा आया और उन्होंने तुरंत पांच सोने के तीर लिए और कुछ मंत्र पढ़े. मंत्र पढ़ने के बाद उन्होंने दुर्योधन से कहा कि कल इन पांच तीरों से वे पांडवों को मार देंगे. मगर दुर्योधन को भीष्म पितामह के ऊपर विश्वास नहीं हुआ और उसने तीर ले लिए और कहा कि वह कल सुबह इन तीरों को वापस करेगा. इन तीरों के पीछे की कहानी भी बहुत मजेदार है. भगवान कृष्ण को जब तीरों के बारे में पता चला तो उन्होंने अर्जुन को बुलाया और कहा कि तुम दुर्योधन के पास जाओ और पांचो तीर मांग लो. दुर्योधन की जान तुमने एक बार गंधर्व से बचायी थी. इसके बदले उसने कहा था कि कोई एक चीज जान बचाने के लिए मांग लो. समय आ गया है कि अभी तुम उन पांच सोने के तीर मांग लो. अर्जुन दुर्योधन के पास गया और उसने तीर मांगे. क्षत्रिय होने के नाते दुर्योधन ने अपने वचन को पूरा किया और तीर अर्जुन को दे दिए.
2. द्रोणाचार्य को भारत का पहले टेस्ट ट्यूब बेबी माना जा सकता है. यह कहानी भी काफी रोचक है. द्रोणाचार्य के पिता महर्षि भारद्वाज थे और उनकी माता एक अप्सरा थीं. दरअसल, एक शाम भारद्वाज शाम में गंगा नहाने गए तभी उन्हें वहां एक अप्सरा नहाती हुई दिखाई दी. उसकी सुंदरता को देख ऋषि मंत्र मुग्ध हो गए और उनके शरीर से शुक्राणु निकला जिसे ऋषि ने एक मिट्टी के बर्तन में जमा करके अंधेरे में रख दिया. इसी से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ.
3. जब पांडवों के पिता पांडु मरने के करीब थे तो उन्होंने अपने पुत्रों से कहा कि बुद्धिमान बनने और ज्ञान हासिल करने के लिए वे उनका मस्तिष्क खा जाएं. केवल सहदेव ने उनकी इच्छा पूरी की और उनके मस्तिष्क को खा लिया. पहली बार खाने पर उसे दुनिया में हो चुकी चीजों के बारे में जानकारी मिली. दूसरी बार खाने पर उसने वर्तमान में घट रही चीजों के बारे में जाना और तीसरी बार खाने पर उसे भविष्य में क्या होनेवाला है, इसकी जानकारी मिली.
4. अभिमन्यु की पत्नी वत्सला बलराम की बेटी थी. बलराम चाहते थे कि वत्सला की शादी दुर्योधन के बेटे लक्ष्मण से हो. वत्सला और अभिमन्यु एक-दूसरे से प्यार करते थे. अभिमन्यु ने वत्सला को पाने के लिए घटोत्कच की मदद ली. घटोत्कच ने लक्ष्मण को इतना डराया कि उसने कसम खा ली कि वह पूरी जिंदगी शादी नहीं करेगा.
5. अर्जुन के बेटे इरावन ने अपने पिता की जीत के लिए खुद की बलि दी थी. बलि देने से पहले उसकी अंतमि इच्छा थी कि वह मरने से पहले शादी कर ले. मगर इस शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार नहीं थी क्योंकि शादी के तुरंत बाद उसके पति को मरना था. इस स्थिति में भगवान कृष्ण ने मोहिनी का रूप लिया और इरावन से न केवल शादी की बल्कि एक पत्नी की तरह उसे विदा करते हुए रोए भी.
6. सहदेव, जो अपने पिता का मस्तिष्क खाकर बुद्धिमान बना था. उसमें भविष्य देखने की क्षमता थी इसलिए दुर्योधन उसके पास गया और युद्ध शुरू करने से पहले उससे सही मुहूर्त के बारे में पूछा. सहदेव यह जानता था कि दुर्योधन उसका सबसे बड़ा शत्रु है फिर भी उसने युद्ध शुरू करने का सही समय बताया.
7. धृतराष्ट्र का एक बेटा युयत्सु नाम का भी था. युयत्सु एक वैश्य महिला का बेटा था. दरअसल, धृतराष्ट्र के संबंध एक दासी के साथ थे जिससे युयत्सु पैदा हुआ था.
8. महाभारत के युद्ध में उडुपी के राजा ने निरपेक्ष रहने का फैसला किया था. उडुपी का राजा न तो पांडव की तरफ से थे और न ही कौरव की तरफ से. उडुपी के राजा ने कृष्ण से कहा था कि कौरवों और पांडवों की इतनी बड़ी सेना को भोजन की जरूरत होगी और हम दोनों तरफ की सेनाओं को भोजन बनाकर खिलाएंगें. 18 दिन तक चलने वाले इस युद्ध में कभी भी खाना कम नहीं पड़ा. सेना ने जब राजा से इस बारे में पूछा तो उन्होंने इसका श्रेय कृष्ण को दिया. राजा ने कहा कि जब कृष्ण भोजन करते हैं तो उनके आहार से उन्हें पता चल जाता है कि कल कितने लोग मरने वाले हैं और खाना इसी हिसाब से बनाया जाता है.
9. जब दुर्योधन कुरूक्षेत्र के युद्ध क्षेत्र में आखिरी सांस से ले रहा था, उस समय उसने अपनी तीन उंगलियां उठा रखी थी. भगवान कृष्ण उसके पास गए और समझ गए कि दुर्योधन कहना चाहता है कि अगर वह तीन गलतियां युद्ध में ना करता तो युद्ध जीत लेता. मगर कृष्ण ने दुर्योधन को कहा कि अगर तुम कुछ भी कर लेते तब भी हार जाते. ऐसा सुनने के बाद दुर्योधन ने अपनी उंगली नीचे कर ली.
10. कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती के किस्से तो काफी मशहूर हैं. कर्ण और दुर्योधन की पत्नी दोनों एक बार शतरंज खेल रहे थे. इस खेल में कर्ण जीत रहा था तभी भानुमति ने दुर्योधन को आते देखा और खड़े होने की कोशिश की. दुर्योधन के आने के बारे में कर्ण को पता नहीं था. इसलिए जैसे ही भानुमति ने उठने की कोशिश की कर्ण ने उसे पकड़ना चाहा. भानुमति के बदले उसके मोतियों की माला उसके हाथ में आ गई और वह टूट गई. दुर्योधन तब तक कमरे में आ चुका था. दुर्योधन को देख कर भानुमति और कर्ण दोनों डर गए कि दुर्योधन को कहीं कुछ गलत शक ना हो जाए. मगर दुर्योधन को कर्ण पर काफी विश्वास था. उसने सिर्फ इतना कहा कि मोतियों को उठा लें.
11. कर्ण दान करने के लिए काफी प्रसिद्ध था. कर्ण जब युद्ध क्षेत्र में आखिरी सांस ले रहा था तो भगवान कृष्ण ने उसकी दानशीलता की परीक्षा लेनी चाही. वे गरीब ब्राह्मण बनकर कर्ण के पास गए और कहा कि तुम्हारे बारे में काफी सुना है और तुमसे मुझे अभी कुछ उपहार चाहिए. कर्ण ने उत्तर में कहा कि आप जो भी चाहें मांग लें. ब्राह्मण ने सोना मांगा. कर्ण ने कहा कि सोना तो उसके दांत में है और आप इसे ले सकते हैं. ब्राह्मण ने जवाब दिया कि मैं इतना कायर नहीं हूं कि तुम्हारे दांत तोड़ूं. कर्ण ने तब एक पत्थर उठाया और अपने दांत तोड़ लिए. ब्राह्मण ने इसे भी लेने से इंकार करते हुए कहा कि खून से सना हुआ यह सोना वह नहीं ले सकता. कर्ण ने इसके बाद एक बाण उठाया और आसमान की तरफ चलाया. इसके बाद बारिश होने लगी और दांत धुल गया.
डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज बेहाल, डॉक्टरों से मिले दिल्ली से स्वास्थ्य मंत्री
नई दिल्ली। केंद्र सरकार, नगर निगम और दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों के करीब 15 हजार रेजिडेंट्स डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है।
डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पतालों में ओपीडी बंद होनेे से नाराज मरीजों व तीमारदारों ने जमकर हंगामा किया।
इस बीच दिल्ली में रजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने हड़ताली डॉक्टरों से मुलाकात कर काम पर लौटने की अपील की है।
अमरीश पुरी के बेटे ने बताई पापा के बारे में अनसुनी बातें
अपनी दमदार आवाज़, डरावने गेटअप और प्रभावशाली शख्सियत से सालों तक फिल्मप्रेमियों के दिलों में ख़ौफ़ पैदा करने वाले जाने-माने खलनायक अमरीश पुरी दरअसल फिल्मों में हीरो बनना चाहते थे. 22 जून को उनका 83वां जन्मदिन है. इस मौके पर ऐसी ही कई दिलचस्प बातों को बीबीसी के साथ साझा किया उनके बेटे राजीव पुरी ने.
अमरीश पुरी ने 30 साल से भी ज़्यादा वक़्त तक फ़िल्मों में काम किया और नकारात्मक भूमिकाओं को इस प्रभावी ढंग से निभाया कि हिंदी फ़िल्मों में वो बुरे आदमी का पर्याय बन गए.
अपने पिता के बारे में राजीव पुरी बताते हैं, "पापा जवानी के दिनों में हीरो बनने मुंबई पहुंचे. उनके बड़े भाई मदन पुरी पहले से फिल्मों में थे. लेकिन निर्माताओं ने उनसे कहा कि तुम्हारा चेहरा हीरो की तरह नहीं है. उससे वो काफी निराश हो गए थे."
नायक के बतौर अस्वीकार कर दिए जाने के बाद अमरीश पुरी ने थिएटर में अभिनय शुरू कर दिया और वहां खूब ख्याति पाई. इसके बाद 1970 में उन्होंने फ़िल्मों में काम करना शुरू किया.पापा जवानी के दिनों में हीरो बनने मुंबई पहुंचे. उनके बड़े भाई मदन पुरी पहले से ही फिल्मों में थे. लेकिन निर्माताओं ने उनसे कहा कि तुम्हारा चेहरा हीरो की तरह नहीं है. उससे वो काफी निराश हो गए थे.
राजीव ने बताया, "पापा ने फिल्मों में काफी देर से काम शुरू किया. लेकिन एक थिएटर कलाकार के तौर पर वो ख़ासी ख्याति पा चुके थे. हमने तभी से उनकी स्टारडम देख ली थी और हमें पता चल गया था कि वो कितने बड़े कलाकार हैं."
70 के दशक में उन्होंने निशांत, मंथन, भूमिका, आक्रोश जैसी कई फ़िल्में की. 80 के दशक में उन्होंने बतौर खलनायक कई अविस्मरणीय भूमिकाएं निभाईं.हम पांच, नसीब, विधाता, हीरो, अंधा कानून, अर्ध सत्य जैसी फिल्मों में उन्होंने बतौर खलनायक ऐसी छाप छोड़ी कि फिल्म प्रेमियों के मन में उनके नाम से ही ख़ौफ़ पैदा हो जाता था.
साल 1987 में आई मिस्टर इंडिया में उनका किरदार मोगैम्बो बेहद मशहूर हुआ. फिल्म का संवाद 'मोगैम्बो खुश हुआ', आज भी लोगों के जे़हन में बरकरार है.
राजीव पुरी बताते हैं कि असल जीवन में अमरीश पारी बेहद अनुशासनप्रिय और वक़्त के पाबंद इंसान थे.अमरीश पुरी बड़े पर्दे पर बुरे आदमी का पर्याय बन गए थे. वो कहते हैं, "पापा के सिद्धांत बिलकुल स्पष्ट थे. जो बात उन्हें पसंद नहीं आती थी, वो उसे साफ-साफ बोल देते थे. वो हमारे रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ बिलकुल विनम्र रहते. उन्होंने कभी किसी को नहीं जताया कि वो कितने मशहूर हैं."
अमरीश पुरी, श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा के काफी क़रीब थे. युवा कलाकारों में भी उनकी शाहरुख़ ख़ान, आमिर ख़ान और अक्षय कुमार से खासी निकटता थी.
राजीव पुरी बताते हैं, "उन्हें अपने पोते-पोतियों से काफी लगाव था. जब वो उनके साथ होते, तो हमसे कहते-चलो अब तुम लोग जाओ. ये हम बच्चों के खेलने का वक़्त है."
अमरीश पुरी अपने करियर के आखिरी सालों में चरित्र भूमिकाएं करने लगे थे. इसके बाद उन्होंने परदेस, ताल और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी फिल्मों में अभिनय की ज़बर्दस्त छाप छोड़ी. 12 जनवरी 2005 को उनका निधन हो गया.
अमरीश पुरी ने 30 साल से भी ज़्यादा वक़्त तक फ़िल्मों में काम किया और नकारात्मक भूमिकाओं को इस प्रभावी ढंग से निभाया कि हिंदी फ़िल्मों में वो बुरे आदमी का पर्याय बन गए.
अपने पिता के बारे में राजीव पुरी बताते हैं, "पापा जवानी के दिनों में हीरो बनने मुंबई पहुंचे. उनके बड़े भाई मदन पुरी पहले से फिल्मों में थे. लेकिन निर्माताओं ने उनसे कहा कि तुम्हारा चेहरा हीरो की तरह नहीं है. उससे वो काफी निराश हो गए थे."
नायक के बतौर अस्वीकार कर दिए जाने के बाद अमरीश पुरी ने थिएटर में अभिनय शुरू कर दिया और वहां खूब ख्याति पाई. इसके बाद 1970 में उन्होंने फ़िल्मों में काम करना शुरू किया.पापा जवानी के दिनों में हीरो बनने मुंबई पहुंचे. उनके बड़े भाई मदन पुरी पहले से ही फिल्मों में थे. लेकिन निर्माताओं ने उनसे कहा कि तुम्हारा चेहरा हीरो की तरह नहीं है. उससे वो काफी निराश हो गए थे.
राजीव ने बताया, "पापा ने फिल्मों में काफी देर से काम शुरू किया. लेकिन एक थिएटर कलाकार के तौर पर वो ख़ासी ख्याति पा चुके थे. हमने तभी से उनकी स्टारडम देख ली थी और हमें पता चल गया था कि वो कितने बड़े कलाकार हैं."
70 के दशक में उन्होंने निशांत, मंथन, भूमिका, आक्रोश जैसी कई फ़िल्में की. 80 के दशक में उन्होंने बतौर खलनायक कई अविस्मरणीय भूमिकाएं निभाईं.हम पांच, नसीब, विधाता, हीरो, अंधा कानून, अर्ध सत्य जैसी फिल्मों में उन्होंने बतौर खलनायक ऐसी छाप छोड़ी कि फिल्म प्रेमियों के मन में उनके नाम से ही ख़ौफ़ पैदा हो जाता था.
साल 1987 में आई मिस्टर इंडिया में उनका किरदार मोगैम्बो बेहद मशहूर हुआ. फिल्म का संवाद 'मोगैम्बो खुश हुआ', आज भी लोगों के जे़हन में बरकरार है.
राजीव पुरी बताते हैं कि असल जीवन में अमरीश पारी बेहद अनुशासनप्रिय और वक़्त के पाबंद इंसान थे.अमरीश पुरी बड़े पर्दे पर बुरे आदमी का पर्याय बन गए थे. वो कहते हैं, "पापा के सिद्धांत बिलकुल स्पष्ट थे. जो बात उन्हें पसंद नहीं आती थी, वो उसे साफ-साफ बोल देते थे. वो हमारे रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ बिलकुल विनम्र रहते. उन्होंने कभी किसी को नहीं जताया कि वो कितने मशहूर हैं."
अमरीश पुरी, श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा के काफी क़रीब थे. युवा कलाकारों में भी उनकी शाहरुख़ ख़ान, आमिर ख़ान और अक्षय कुमार से खासी निकटता थी.
राजीव पुरी बताते हैं, "उन्हें अपने पोते-पोतियों से काफी लगाव था. जब वो उनके साथ होते, तो हमसे कहते-चलो अब तुम लोग जाओ. ये हम बच्चों के खेलने का वक़्त है."
अमरीश पुरी अपने करियर के आखिरी सालों में चरित्र भूमिकाएं करने लगे थे. इसके बाद उन्होंने परदेस, ताल और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी फिल्मों में अभिनय की ज़बर्दस्त छाप छोड़ी. 12 जनवरी 2005 को उनका निधन हो गया.
मोहल्ला अस्सी' में गाली देने पर सनी देओल के खिलाफ एफआइआर दर्ज
नई दिल्ली। सनी देओल की फिल्म 'मोहल्ला अस्सी' का कथित ट्रेलर हाल ही में काफी विवादों में रहा था। अब इसको लेकर वाराणसी में सनी देओल और इस फिल्म के निर्देशक चंद्र प्रकाश द्धिवेदी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर दिया गया है। दोनों पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा है।
दोनों के खिलाफ 'सर्वजन जाग्रुती संस्था' के सदस्यों ने रविवार को वाराणसी के भेलपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। एक शिकायतकर्ता के मुताबिक, यह फिल्म धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली है और हम ऐसी फिल्म को रिलीज नहीं होने दे सकते हैं।
हाल ही में सनी देओल की काफी समय से चर्चा में रही फिल्म 'मोहल्ला अस्सी' का ट्रेलर लीक होने पर काफी विवाद हुआ था। इसमें सभी कलाकार गाली देते नजर आ रहे थे और यहां तक कि शंकर भगवान को भी एेसा करते दिखाया गया था। यह पूरी फिल्म धार्मिक नगरी वाराणसी में पर्यटन के बाजारीकरण को लेकर है।
हालांकि इस फिल्म के निर्देशक चंद्र प्रकाश द्धिवेदी ने कहा था कि यह ट्रेलर फर्जी है। उनकी यह फिल्म कई सालों से चर्चा में है, मगर अब तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि यह कब रिलीज होगी। अब तो इतना विवाद हो चुका है, ऐसे में इस फिल्म का क्या होगा, इसको लेकर भी संशय ही बना हुआ है।
आलिया भट्ट के सीधे कंधे में आ गई है चोट
मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट के सीधे कंधे में चोट आ गई है। हालांकि घबराने की कोई बात नहीं है। आलिया ने कहा कि वो दो हफ्तों में पूरी तरह ठीक हो जाएंगी।
आलिया फिलहाल तमिलनाडु के कुन्नूर में अपनी अगली फिल्म 'कपूर एंड सन्स' की शूटिंग कर रही हैं। आलिया ने ट्विटर पर कहा, 'आपकी दुआओं के लिए शुक्रिया। कंधे की चोट अभी ताजा है। चिंता की बात नहीं है, मैं दो हफ्तों में बिलकुल ठीक हो जाउंगी। लेफ्टी बनने का वक्त है।'
आलिया 'कपूर एंड सन्स' में सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ नजर आएंगी।
पीसीआर वाले करते रहे चेकिंग, लुटेरे रफूचक्कर
होली चाइल्ड चौराहे पर रविवार शाम करीब साढ़े सात बजे पीसीआर वाले चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान चौराहे से करीब 100 मीटर दूर स्कूटी सवार दो बदमाश रीना शर्मा से पर्स, मोबाइल और सब्जी का थैला लूटकर ले गए। महिला ने लोगों से मदद मांगी, लेकिन सब तमाशबीन बने रहे।
रीना शर्मा ने बताया कि वह हाउस वाइफ हैं। पति एक निजी कंपनी में अफसर हैं। वह करीब दो साल की बेटी को लेकर सब्जी लेने गई थी। पैदल लौटते समय उनके हाथ में पर्स और सब्जी का थैला था।
बेटी को उन्होंने गोद में लिया हुआ था। इसी दौरान स्कूटी सवार दो बदमाश उनके हाथ से पर्स और सब्जी का थैला लूटकर ले गए। पर्स में मोबाइल और एक हजार रुपये थे। लुटेरों ने हेलमेट नहीं पहना था।
इस दौरान वहां से स्कूटी और बाइक सवार काफी लोग गुजर रहे थे। उन्होंने बदमाशों को पकड़ने के लिए मदद मांगी। मगर सब ने अनसुना कर दिया।
बकौल रीना, एक स्कूटी सवार ने तो यहां तक कहां कि ‘वह ऐसे झंझट में नहीं पड़ता।’ वह पैदल होली चाइल्ड चौराहे पर पहुंची और पुलिस को सूचना दी। पुलिस यहां चेकिंग अभियान चलाए हुई थी।
रीना शर्मा ने बताया कि वह हाउस वाइफ हैं। पति एक निजी कंपनी में अफसर हैं। वह करीब दो साल की बेटी को लेकर सब्जी लेने गई थी। पैदल लौटते समय उनके हाथ में पर्स और सब्जी का थैला था।
बेटी को उन्होंने गोद में लिया हुआ था। इसी दौरान स्कूटी सवार दो बदमाश उनके हाथ से पर्स और सब्जी का थैला लूटकर ले गए। पर्स में मोबाइल और एक हजार रुपये थे। लुटेरों ने हेलमेट नहीं पहना था।
इस दौरान वहां से स्कूटी और बाइक सवार काफी लोग गुजर रहे थे। उन्होंने बदमाशों को पकड़ने के लिए मदद मांगी। मगर सब ने अनसुना कर दिया।
बकौल रीना, एक स्कूटी सवार ने तो यहां तक कहां कि ‘वह ऐसे झंझट में नहीं पड़ता।’ वह पैदल होली चाइल्ड चौराहे पर पहुंची और पुलिस को सूचना दी। पुलिस यहां चेकिंग अभियान चलाए हुई थी।