Saturday, 4 July 2015

रमन सिंह पर 36 हजार करोड़ के घोटाले में शामिल होने का आरोप


कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके परिवार पर 36 हजार करोड़ के घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने कहा है कि यह घोटाला भाजपा के अब तक के सभी घोटाले को छोटा साबित कर देगा। 
कांग्रेस मुख्यालय में हुई पत्रकार वार्ता में अजय माकन ने कहा कि नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के इस घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जो डायरी और दूसरे सबूत इकट्टे किए हैं उसमें मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी और उनके रसोइए के शामिल होने के सबूत है। 
कांग्रेस ने एसीबी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अगर सबूत हैं तो अब तक इनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है। पार्टी ने मांग की है कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में गठित विशेष जांच समिति (एसआईटी) को सौंप देनी चाहिए। 
इस पत्रवार्ता में छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव भी उपस्थित थे।हालांकि कांग्रेस यह आरोप पहली बार नहीं लगा रही है। मार्च के अंतिम सप्ताह में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी ऐसे ही आरोप लगाए थे और एक डायरी का जिक्र करते हुए कहा था कि डायरी में मुख्यमंत्री रमन सिंह, पत्नी वीणा सिंह, साली रेणुका सिंह ओर उनके ससुराल पक्ष के कई संबंधियों के नाम हैं। कांग्रेस प्रवक्ता कहा था कि शिवशंकर भट्ट की डायरी में रमन ‌सिंह के निजी स्टाफ को कमीशन भेजे जाने का भी जिक्र है।
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लेकिन तब तक मामला कांग्रेस की ओर से जुटाए गए दस्तावेजों का ही था। अब कांग्रेस ने एसीबी की ओर से अदालत में पेश किए गए दस्तावेज और अन्य सबूतों का हवाला देते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव सहित कई बड़े अधिकारी इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं। 
अमर उजाला के पास उपलब्ध दस्तावेजों से पता चलता है कितने सुनियोजित ढंग से भ्रष्टाचार का पैसा इकट्ठा किया जाता रहा और उसे किस तरह से अधिकारियों और राजनीतिज्ञों के बीच बांटा जाता रहा। इन दस्तावेजों में डायरी का जिक्र किया गया है जिसमें अधिकारियों और अन्य लोगों के नाम हैं। 
हालांकि मुख्यमंत्री रमन सिंह ने पहले इस तरह की किसी डायरी को ही खारिज कर दिया था। फरवरी, 2015 में पहली बार जब एसीबी ने नान घोटाले को लेकर छापे मारे थे तो नान के कई अधिकारियों और कर्मचारियों के पास से सात करोड़ से अधिक की संपत्ति और कई दस्तावेज जब्त किए थे। 
इनमें से कई दस्तावेज मीडिया को भी मिले थे। इस बारे में जब मुख्यमंत्री रमन सिंह से पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि न कोई ऐसी डायरी है और न ही वे और उनके परिवार के लोगों का इससे कोई लेना देना है। 
अमर उजाला से हुई बातचीत में कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा, "रमन सिंह सरकार के ही अधीन काम करने वाले एसीबी ने जो दस्तावेज पेश किए हैं उसमें ही डायरी का जिक्र है और उसी डायरी में रमन सिंह और उनके परिवार के नाम का जिक्र है। इसलिए जाहिर है कि मुख्यमंत्री झूठ बोल रहे थे।" 
उन्होंने कहा, "कई डायरियां हैं और कई पन्ने हैं, अभी तो एसीबी ने चालाकी के साथ चार्जशीट दाखिल की है। कई पन्नों का जिक्र जाहिर तौर पर नहीं किया है या छिपा लिया गया है। लेकिन मामले की सही जांच हो तो पता चल जाएगा कि पैसे मुख्यमंत्री के कितने रिश्तेदारों को पहुंचते रहे।" 
कांग्रेस ने अपने पुराने आरोप को भी दोहराया, "नान घोटाले का पैसा दिल्ली, लखनऊ और नागपुर भी भेजा जाता रहा है।" हालांकि यह विवरण अभी नहीं मिला है कि दिल्ली, लखनऊ और नागपुर में ये पैसे वास्तव में किन्हें भेजे गए। 
अपनी चार्जशीट में भी एसीबी ने इस पर खास विवरण नहीं दिए हैं। लेकिन अदालत में जमा दस्तावेज बताते हैं कि घोटाला कितना व्यवस्थित था।एसीबी ने विशेष अदालत में चार्जशीट के साथ जो दस्तावेज जमा किए हैं वो बताते हैं कि किस तरह से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अनाज और दूसरी वस्तुओं की खरीद और वितरण के बीच करोड़ों का घोटाला होता था।
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वैसे तो बहुत से दस्तावेज हैं लेकिन दो डायरियां अहम दिखती हैं। एक डायरी है नान मुख्यालय में प्रबंधक रहे शिवशंकर भट्ट की डायरी और दूसरी गिरीश शर्मा की जो नान के महानिदेशक अनिल टूटेजा के निजी सचिव रहे हैं। 
गिरीश शर्मा की डायरी के एक पन्ने (दस्तावेज क्रमांक डी-15) को ही लें तो नवंबर-दिसंबर, 2012 और जनवरी-फरवरी 2013 में कुल तीस करोड़ से अधिक राशि के जमा होने का विवरण है।
इसी तरह राशि के वितरण का जिक्र है जिसमें 'सीएम मैडम', एश्वर्या रेसीडेंसी (कांग्रेस के अनुसार यहां मुख्यमंत्री रमन सिंह की साली रहती हैं) आलोक शुक्ला (खाद्य विभाग के तत्कालीन सचिव), अनिल टूटेजा, खाद्यमंत्री पुन्नू लाल मोहिले के निजी सचिव और मुख्य सचिव विवेक ढांड के दो निजी सहायकों के नामों का जिक्र है।
राशि के एकत्रित होने और वितरण का जिक्र दोनों डायरियों में हैं लेकिन शिवशंकर भट्ट की डायरी इस पर ज्यादा रोशनी डालती है।
इसमें एक अहम बात यह भी है कि शिवशंकर भट्ट का एक स्टिंग ऑपरेशन छत्तीसगढ़ के एक अखबार में किया था जिसमें उन्हें डायरी के कोड नाम के बारे में विवरण देते हुए सुना जा सकता है। 

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