चंद मिनट में याकूब की कहानी खत्म
मुंबई में 1993 के बम धमाकों के गुनहगार याकूब मेमन को 30 जुलाई को सुबह 7 बजे फांसी पर लटका दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन पर दोबारा सुनवाई करने से साफ इंकार कर दिया जिसके बाद उसकी फांसी का रास्ता साफ हो गया। उधर नागपुर जेल प्रशासन ने याकूब को फांसी देने की तैयारी पूरी कर चुका है। जेल में फांसी का फंदा तैयार है।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 21 जुलाई को याकूब की क्यूरेटिव पेटिशन खारिज कर दी थी। उसके बाद मंगलवार को दो न्यायाधीशों की बेंच ने क्यूरेटिव पिटीशन पर दोबारा सुनवाई के लिए चर्चा की लेकिन उनमें सहमति नहीं बन पाने के कारण मामले को उच्च पीठ के पास भेज दिया गया था। बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए उच्च पीठ ने याकूब और सरकार के पक्षों को फिर से सुनने के बाद याकूब की फांसी की सजा को सही ठहराया और दोबारा क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। इस बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी याकूब की दया याचिका को खारिज कर दिया जिससे उसकी फांसी का रास्ता साफ हो गया। फिलहाल याकूब को काल कोठरी में रखा गया है और उसके बाहर पुलिस का कड़ा पहरा है।
जेल में फिजिशियन और मनोचिकित्सक मेमन की नियमित जांच कर रहे हैं। नागपुर जेल में 1984 के पश्चात लंबे अंतराल के बाद किसी को फांसी देने का आदेश हुआ है, जिसके चलते फांसी देने की तैयारी नए सिरे से पूरी की जानी थी। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने 22 लाख रुपये भी आवंटित कर दिया है। इस रकम से फांसी देने के लिए बने प्लेटफार्म की मरम्मत से लेकर शेड आदि का कार्य पूरा कराया गया हैं।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 21 जुलाई को याकूब की क्यूरेटिव पेटिशन खारिज कर दी थी। उसके बाद मंगलवार को दो न्यायाधीशों की बेंच ने क्यूरेटिव पिटीशन पर दोबारा सुनवाई के लिए चर्चा की लेकिन उनमें सहमति नहीं बन पाने के कारण मामले को उच्च पीठ के पास भेज दिया गया था। बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए उच्च पीठ ने याकूब और सरकार के पक्षों को फिर से सुनने के बाद याकूब की फांसी की सजा को सही ठहराया और दोबारा क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। इस बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी याकूब की दया याचिका को खारिज कर दिया जिससे उसकी फांसी का रास्ता साफ हो गया। फिलहाल याकूब को काल कोठरी में रखा गया है और उसके बाहर पुलिस का कड़ा पहरा है।
जेल में फिजिशियन और मनोचिकित्सक मेमन की नियमित जांच कर रहे हैं। नागपुर जेल में 1984 के पश्चात लंबे अंतराल के बाद किसी को फांसी देने का आदेश हुआ है, जिसके चलते फांसी देने की तैयारी नए सिरे से पूरी की जानी थी। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने 22 लाख रुपये भी आवंटित कर दिया है। इस रकम से फांसी देने के लिए बने प्लेटफार्म की मरम्मत से लेकर शेड आदि का कार्य पूरा कराया गया हैं।
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